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एमवीएन विश्वविद्यालय में फार्मासिस्ट के अधिकार एवं दायित्व विषय पर संगोष्ठी का आयोजन

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फरीदाबाद: एमवीएन विश्वविद्यालय पलवल में फार्मासिस्ट के अधिकार एवं दायित्व विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिस के मुख्य अतिथि हरियाणा स्टेट फार्मेसी काउंसिल के कंटीन्यूइंग फार्मेसी एजुकेशन प्रोग्राम के चेयरमैन कैलाश खन्ना थे। कार्यक्रम का शुभारंभ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ जे वी देसाई, कुलसचिव डॉ राजीव रतन, मुख्य अतिथि कैलाश खन्ना,  विभागाध्यक्ष डॉ तरुण विरमानी, सभी शिक्षकगण व छात्रों के साथ वृक्षारोपण करके किया गया

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति डी जे वी देसाई ने विश्वविद्यालय  की स्थापना एवं  यहां संचालित सभी कोर्सों और छात्रों के कैंपस प्लेसमेंट के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि गुरू का प्रमुख कार्य छात्रों के प्रतिभा को बढ़ाना है जिससे वे देश के विकास में अपना योगदान दे सकें।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कैलाश खन्ना ने फार्मासिस्ट के अधिकारों एवं उनके दायित्व पर विस्तार से बताते हुए कहा कि हरियाणा स्टेट फार्मेसी काउंसिल एकमात्र ऐसी काउंसिल है जो फार्मासिस्ट को अपग्रेड करने के लिए कंटिन्यूइंग फार्मेसी एजुकेशन प्रोग्राम आयोजित करती है। उन्होंने कहा कि यद्यपि फार्मेसी शिक्षा बहुत तेजी से बढ़ रही है लेकिन फार्मेसी विकास के लिए हमारा योगदान अभी बहुत कम है
अतः हमें समन्वय के साथ इस दिशा में समुचित विकास के लिए कार्य करना होगा। उन्होंने फार्मासिस्ट को अपना लाइसेंस का व्यवसायीकरण नहीं करने एवं किराए पर नहीं देने की अपील की।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ राजीव रतन ने कहा कि फार्मेसी एजुकेशन एक ऐसा प्रोफेशनल कोर्स हैं जिसमें विनिर्माण, क्वालिटी कंट्रोल मार्केटिंग एवं डिस्पेंसिंग आदि क्षेत्रों में बहुत ज्यादा जॉब के अवसर उपलब्ध है लेकिन छात्रों को इसे केवल प्रोफेशन के दृष्टिकोण से नहीं देखना चाहिए बल्कि मानव सेवा सुरक्षा एवं देखभाल प्रमुख उद्देश्य होना चाहिए।

एमवीएन विश्वविद्यालय स्कूल आफ फार्मास्यूटिकल एजुकेशन के विभागाध्यक्ष डॉ तरुण विरमानी ने फार्मेसी के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए बताया कि भारत में फार्मेसी शिक्षा का प्रारंभ 1933 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से हुई है। प्रोफ़ेसर एम एल श्रॉफ ने भारत में इसकी नींव रखी जिनको फार्मेसी का जनक भी कहा जाता है तब से 2019 तक भारत में फार्मेसी शिक्षा में बहुत विकास हुआ है जोकि प्रत्येक व्यक्ति साधारण रूप से भी महसूस कर सकता है।

कार्यक्रम के अंत में विधि विभागाध्यक्ष डॉ राहुल वार्ष्णेय ने सभी संकयाध्यक्षो, विभागाध्यक्षों शिक्षकों एवं छात्र-छात्राओं का कार्यक्रम के कुशल संपादन के लिए धन्यवाद दिया।

इस  अवसर पर डॉ सचिन गुप्ता, डॉ नन्द राम, डॉ मुकेश सैनी, डॉ पवन शर्मा, डॉ दिव्या अग्रवाल, दयाशंकर प्रसाद, महेन्द्र धानु, प्रशांत कुमार, अजय कुमार, रेशु विरमानी, ववीता यादव, संजय संजय शर्मा , गौरव सैनी आलोक श्रीवास्तव, गिरीश कुमार , गीता मेहलावत, सतवीर सिंह कयामुद्दीन, माधुरी ग्रोवर,  हिदायतुल्लाह,  हितेश शर्मा, मोहित मंगला, शादाब आलम, किशोर कुमार झा, त्रिलोक चंद शर्मा, छत्रपाल, सुभाष, विनोद कुमार, हरपाल, योगेश, राजेश, सुधीर डुडेजा, धरमवीर शर्मा, सुंदर आदि सभी  स्टाफ छात्र-छात्राओं के साथ उपस्थित थे।
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