फरीदाबाद: फरीदाबाद नगर निगम की कमी के कारण निगम को 19 करोड़ 68 लाख रूपये का चूना लग गया है। नगर निगम ने पैसे HDFC बैंक के करंट अकाउंट में डालकर अपने ही विभाग को 19 करोड़ 68 का चूना लगा दिया जबकि ये पैसे फिक्स डिपॉजिट करना था। नगर निगम ने सरकार के निर्देशों को ठेंगा दिखाते हुए इस रकम को HDFC बैंक के करंट एकाउंट के डाल दिए थे। ये खुलासा बार एसोसिएसन के पूर्व प्रधान एवं न्यायिक सुधार संघर्ष समिति के प्रधान एडवोकेट एलएन पाराशर ने किया है। पाराशर ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि मेरे पास सरकारी आडिट की रिपोर्ट है जिसके मुताबिक 1 अप्रैल 2017 को निगम ने 184. 20 करोड़ रूपये HDFC बैंक के करंट एकाउंट में डाला और इस तरह 11 फरवरी 2018 तक कुल 382 करोड़ 70 लाख रूपये करंट अकाउंट में डाले गए।
पाराशर ने कहा कि आडिट रिपोर्ट में लिखा गया है कि अगर ये पैसे स्टेट बैंक आफ इंडिया या ICICI में फिक्स किये जाते तो 6 . 75 सालाना ब्याज मिलता और इस तरह एक साल में 19 करोड़ 68 लाख रूपये ब्याज के रूप में मिलते लेकिन निगम अधिकारियों की कमी के कारण निगम को 19 करोड़ 68 लाख रूपये का नुक्सान उठाना पड़ा।
एडवोकेट पाराशर ने कहा कि ये आंकड़े 2019 की सरकार की आडिट रिपोर्ट से मिले हैं। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो नगर निगम अपने कर्मचारियों की तनख्वाह तक नहीं दे पा रहा है और आये दिन कर्मचारी निगम मुख्यालय पर प्रदर्शन करते रहते हैं और दूसरी तरह एक साल में 19 करोड़ 68 लाख रूपये गँवा दिया।
पाराशर ने कहा कि फरीदाबाद नगर निगम की लापरवाही के कारण ही फरीदाबाद नरक बनता जा रहा है। निगम भी कंगाल होता जा रहा है।
उन्होंने कहा कि ये एक बहुत बड़ी लापरवाही है और मैंने इस लापरवाही को लेकर प्रधानमंत्री और मुख्य्मंत्री को पत्र लिख रहा हूँ और मांग करूंगा कि जिनकी लापरवाही से निगम को 19 करोड़ 68 लाख रूपये का नुक्सान हुआ है उन अधिकारियों को सस्पेंड किया जाए और उनकी संपत्ति जब्त कर इस पैसे को वसूला जाए। वकील पाराशर ने कहा कि हो सकता है निगम के कुछ अधिकारियों ने जानबूझ कर ये कैसे करंट अकाउंट में करवाए हों और बैंक वालो से मिले हुए हों ताकि बैंक उनके जेबें भर सके। उन्होंने कहा कि सम्बंधित अधिकारियों पर मामला दर्ज जांच करवाई जाए और उनकी काल डिटेल निकलवाई जाये। उन्होंने कहा कि अगर सम्बंधित अधिकारियों पर कार्यवाही न की गई तो मैं कोर्ट के माध्यम से उन पर लापरवाही मामला दर्ज करवाऊंगा।
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