फरीदाबाद: बार एसोशिएशन के पूर्व प्रधान एवं न्यायिक सुधार संघर्ष समिति के प्रधान एलएन पाराशर ने फिर अरावली पर अवैध खनन को लेकर कई बड़े अधिकारीयों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी है। पाराशर ने बताया कि पिछली बार जब हमने याचिका दायर की थी तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सबूत सहित याचिका दायर करो और लिबर्टी दी थी इसलिए अब हमने कई सबूतों के साथ याचिका दायर की है। पाराशर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जब लिबर्टी दी थी तब कहा था कि जहाँ भी अवैध खनन हुआ है और हो रहा है वहीं की खसरा खतौनी और हाल में दर्ज हुई सभी एफआईआर का नंबर संलग्न किया जाये इसलिए अब हमने सभी एफआईआर के नंबर और खसरा-खतौनी के साथ फ्रेश याचिका दायर की है।
पाराशर ने कहा कि लगभग डेढ़ साल में अवैध खनन करने वालों पर लगभग एक दर्जन मामले दर्ज हुए हैं और अब सुप्रीम कोर्ट में हमने इन्ही मामलो का हवाला दिया है। उन्होंने कहा कि कई माफियाओं ने अवैध खनन कर उस जगह पर मिट्टी डाल वेंकट हाल या फ़ार्म हॉउस बना लिए हैं जिनकी तस्वीरें और वीडियो हमने सुप्रीम कोर्ट में बतौर सबूत दिए हैं। उन्होंने कहा कि एक दो नहीं दर्जनों जगहों पर अवैध खनन हुए हैं और सबका सबूत सुरीम कोर्ट में पेश किया गया है।
उन्होंने कहा कि अब हमने जो याचिका दायर की है उसमे हरियाणा के मुख्य सचिव, अतुल कुमार डीसी फरीदाबाद, कमलेश कुमारी, अधिकारी खनन विभाग, बलजीत सिंह सहित कई अधिकारियों को पार्टी बनाया गया है। उन्होंने कहा कि कई वर्षों से अरावली तवाह की जाती रही, करोडो के पत्थर लूट जाते रहे और ये सब अधिकारी बापू के बंदरों की तरह सब कुछ नजरअंदाज करते रहे। उन्होंने कहा कि जब मैंने कई-कई बार सबूत सहित अवैध के कई मामले मीडिया के माध्यम से इन अधिकारियों तक पहुंचाए तो इन्होने खानापूर्ति के लिए खनन माफियाओं पर मालूली धाराओं के तहत मामला दर्ज करवाया।
पाराशर ने कहा कि एफआईआर दर्ज करने के बाद खनन माफियाओं से नाम मात्र की बरामदगी दिखाई गई जबकि माफियाओं ने बड़ी-बड़ी मशीनों से करोड़ों के पत्थर चोरी किये। पाराशर ने कहा इन अधिकारियों की मिलीभगत के कारण अरावली तवाह हुई और फरीदाबाद के लोग प्रदूषण से बेमौत मर रहे हैं। पाराशर ने कहा कि इन अधिकारियों की लापरवाही के कारण अरावली पर अब भी अवैध खनन जारी है इसलिए अब मैंने इन्हे सुप्रीम कोर्ट में घसीटा है ताकि अरावली को बचा सकूं। उन्होंने कहा कि मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में जो याचिका दायर की गई है उसका नंबर 4677 OF 1985 है।
Post A Comment:
0 comments: