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सुप्रीम कोर्ट ने दी लिबर्टी, जल्द दुबारा फ़ाइल होगी अधिकारियों के खिलाफ कंटेम्प्ट याचिका

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फरीदाबाद: अरावली पर अवैध खनन को लेकर बार एसोशिएशन के पूर्व प्रधान एवं न्यायिक सुधार संघर्ष समिति के अध्यक्ष एडवोकेट एलएन पाराशर द्वारा दायर की गई याचिका की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 
अरावली पर जहां भी अवैध खनन हो रहा है उसका खसरा नंबर और अब तक अवैध खनन माफियाओं पर दर्ज एफआईआर की पूरी डिटेल सहित पुनः  कंटेम्प्ट याचिका दायर की जाये। सुप्रीम कोर्ट में  पहले फ़ाइल की गई याचिका को लिबर्टी के साथ विड्रा कर लिया गया है जिसकी कंटेम्प्ट पिटीशन ( C ) No. 621/2019 थी। सुप्रीम कोर्ट ने दुबारा याचिका फ़ाइल करने की परमीशन दी है। 

वकील पाराशर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जहाँ-जहाँ अवैध खनन हो रहा है वहाँ की खसरा-खतौनी याचिका के साथ फ़ाइल की जाए और अब तक अवैध खनन के जितने भी मामले दर्ज किये गए हैं सबके एफआईआर नंबर याचिका के साथ दिए जाएँ। पराशर ने कहा कि एक हफ्ते के अंदर मैं सभी कागजात एकत्रित कर फिर याचिका दायर करूंगा। उन्होंने कहा कि एक साल में ही खनन माफियाओं पर लगभग एक दर्जन मामले दर्ज किये गए हैं जिनमे कुछ एफआईआर नंबर मेरे पास हैं। उन्होंने कहा कि एफआईआर नंबर 316, 299, 209, 297, 295 के कागजात मेरे पास आ चुके हैं जिनमे खनन विभाग ने एफआईआर नंबर 316 में खसरा खेवट नंबर खोले हैं बाकि मामलों में खनन विभाग ने खनन माफियाओं को बचाने का प्रयास किया है और मामले को गोलमोल किया गया है। 

उन्होंने कहा कि मैं इसी हफ्ते अवैध खनन की तस्वीरें, वीडियो और दर्ज एफआईआर के खसरा नंबर के साथ सुप्रीम कोर्ट में फिर याचिका दायर करूंगा। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार भी खनन माफियाओ को बचाने का प्रयास कर रही है लेकिन खनन माफिया ज्यादा दिन तक चैन की साँस नहीं ले सकेंगे और अरावली पर जिन अधिकारियों की मिलीभगत से अवैध खनन चल रहा है उन अधिकारियों पर भी कार्यवाही करवाने का प्रयास करूंगा। 

पाराशर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एक और आदेश देते हुए कहा था मुख्य सचिव हरियाणा 48 घंटे के अंदर दिल्ली-हरियाणा बार्डर के पांच किलोमीटर के अंदर हरियाणा की तरफ कहीं भी अवैध निर्माण व् अवैध खनन हो रहा हो तो तुरंत रुकवाया जाए। लेकिन अभी तक इस आदेश की भी धज्जियां उड़ाई जा रहीं हैं और हरियाणा की तरफ पांच किलोमीटर के दायरे में कई अवैध निर्माण जारी हैं। उन्होंने कहा कि अरावली पर लगातार सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना हो रही है। 
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