फरीदाबाद: अक्टूबर 2017 में फरीदाबाद में उस समय के डीसी समीरपाल सरो ने सेक्टर-12 स्थित कॉन्फ्रेंस हॉल में प्रेसवार्ता कर घोषणा की थी कि उन्होंने बताया कि शहर से कुल 1253 आवारा पशुओं को पकड़ कर जिले के 6 नए गोशालाओं में भेजा गया और फरीदाबाद आवारा पशुओं से मुक्त हो गया। उस समय मेयर सहित कई पार्षदों ने डीसी पर सवाल उठाये थे और कहा था कि फरीदाबाद की सड़को पर अब भी आवारा पशु घूम रहे हैं। अब बार एसोशिएशन के पूर्व अध्यक्ष एवं न्यायिक सुधार संघर्ष समिति के अध्यक्ष एडवोकेट एलएन पाराशर ने एक आरटीआई के माध्यम से बता किया कि सितम्बर 2017 से अब तक फरीदाबाद में कितने आवारा पशु पकडे गए हैं तो नगर निगम की तरफ से जबाब आया है कि सितम्बर 2017 से अब तक बल्लबगढ़ जोन में नगर निगम ने 278 आवारा पशु पकडे हैं।
एडवोकेट पाराशर ने आगे पूंछा था कि कितने पशु मालिकों पर एमसीएफ एक्ट के तहत जुर्माना लगाया गया है तो उसके जबाब में नगर निगम ने लिखा है कि आवारा पशुओं को पकड़कर नगर निगम के कर्मचारी उन्हें गौशाला भेज देते हैं, पशुओं के मालिक का पता न होने के कारण किसी से अब तक कोई जुर्माना नहीं लिया गया। पाराशर ने आगे पूंछा था कि कितने पशु गौशाला भेजे गए तो जबाब मिला कि 278 पशु गौशाला भेजे गए हैं।
पाराशर ने इसके बाद पूंछा कि कितने पशुओं की बीमारी से मौत हुई और कितनों का इलाज कराया गया और इसकी सत्यापित कॉपी दी जाए तो नगर निगम ने जबाब दिया कि सितम्बर 2017 से अब तक 60 पशुओं की बीमारी से मौत हुई और सभी बीमार पशुओं का इलाज कराया गया था।
वकील पाराशर ने फरीदाबाद प्रशासन पर सवाल उठाया है जिनका कहना है कि लगभग दो साल में नगर निगम ने एक रूपये का भी जुर्माना किसी से नहीं वसूला जिस कारण पशुओं के मालिक अपने पशुओं को अब भी सड़क पर घूमने के लिए छोड़ देते हैं जो दुर्घटना का कारण बनते हैं। वकील पाराशर ने कहा कि अब भी अगर फरीदाबाद की सभी सड़कों का चक्कर लगाया जाए तो लगभग एक हजार आवारा पशु हमेशा सड़क पर दिख सकते हैं।
पाराशर ने कहा कि अक्टूबर 2017 में उस समय के जिला उपायुक्त ने कहा था कि अगर किसी पशुपालक का कोई पशु सड़क पर आवारा घूमते हुए पाया गया तो पहली दफा उनका 5100 रुपये का चालान काटा जाएगा, बावजूद इसके अगर वही पशु दूसरी दफा मिला तो 7500 और तीसरी दफा मिलने पर 11000 का जुर्माना वसूला जाएगा। इसके बाद भी संबंधित पशु पालक ने उस पशु ने नहीं संभाला और फिर आवारा छोड़ दिया तो फिर पशु को नहीं छोड़ा जाएगा। और नगर निगम अधिनियम 1994 की धारा 332 के तहत यह कार्रवाई की जाएगी।
पाराशर ने कहा कि नगर निगम का ये अधिनियम शायद कागजी था तभी किसी से एक रूपये का जुर्माना नहीं वसूला गया। पाराशर ने निगम पर सवाल भी उठाया और कहा कि हो सकता है कि जुर्मना वसूलकर कुछ कर्मचारी अपनी जेबों में डाल लेते हों।
पाराशर ने कहा कि सितम्बर 2018 में मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव डॉ. राकेश गुप्ता ने कहा था कि 26 जनवरी 2019 तक आवारा पशु मुक्त राज्य बनाया जाएगा। उस समय उन्होंने कहा था कि जिन लोगों के पशु सडक़ों पर घूम रहे हैं, उनके खिलाफ कार्यवाही की जाए और जुर्माना किया जाए। उन्होंने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि मुख्यमन्त्री के सख्त निर्देश हैं कि राज्य को आवारा पशु मुक्त बनाने के लिए गलत कार्य करने वाले व्यक्तियों को बख्शा नहीं जाएगा लेकिन जनवरी भी बीत गई और अब अगस्त 2019 चल रहा है और अब भी प्रदेश की सड़को पर हजारों आवारा पशु घूम रहे हैं। पाराशर ने कहा कि शुक्रवार को मैंने कई सड़को पर सैकड़ों आवारा पशु देखे और अब मैं सीएम हरियाणा को पत्र लिख रहा हूँ कि फरीदाबाद के अधिकारी सरकार के आदेशों को ठेंगा दिखा रहे हैं और ऐसे अधिकारियों पर कार्यवाही की जाए।
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