चंडीगढ़: हरियाणा की जनता ने प्रदेश के इतिहास में अब तक किसी भी नई पार्टी को भाव नहीं दिया है। प्रदेश में दर्जनों नई पार्टियां बनीं हैं लेकिन बहुत जल्द इन पार्टियों का नामोनिशान मिट गया। इस समय प्रदेश के नई पार्टी जजपा हाथी पर चढ़कर दहाड़ रही है लेकिन लगता नहीं है कि दुष्यंत चौटाला हाथी पर चढ़कर चडीगढ़ की कुर्सी वाले कमरे का ताला अपनी चाभी से खोल लेंगे। प्रदेश में अब भी मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच दिख रहा है। पूर्व भाजपा सांसद राजकुमार सैनी की पार्टी प्रदेश शायद ही खाता खोल सके। आम आदमी पार्टी दिल्ली से सटे हरियाणा के कुछ विधानसभा सीटों पर उम्मीद के मुताबिक़ वोट पा सकती है। हरियाणा अब तक वर्तमान समीकरण की बात करे तो कांग्रेस बहुत बुरी स्थिति में है। पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा और कांग्रेस चीफ अशोक तंवर में तकरार जारी है। इन दोनों नेताओं को मिलकर भाजपा से लड़ना चाहिए था लेकिन ये खुद से लड़ रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष तंवर न विधानसभा चुनाव न लड़ने का फैसला लिया है लेकिन हुड्डा पर अब भी उनके घातक तीर जारी हैं। हुड्डा की 18 अगस्त की रैली पर तंवर अब भी तीर चला रहे हैं। अब अशोक तंवर ने हुड्डा का नाम लिए बिना कहा है कि कांग्रेस कभी दबाव में नहीं आती है और किसी तो इस बारे में गलतफहमी है तो उसे दूर कर ले।
रोहतक में पत्रकारों से बात करते हुए कांग्रेस चीफ अशोक तंवर ने कहा कि कांग्रेस कभी दबाव नहीं मानती। कांग्रेस ने देश से अंग्रेजों को भगा दिया, हमेशा कुर्बानी दी है। अगर किसी को गलतफहमी है तो वे दूर कर लें कि वह कांग्रेस पर दबाव बना सकते हैं। तंवर कांग्रेस नेता एडवोकेट अजय अहलावत के आवास पत्रकारों से बात कर रहे थे। तंवर ने कहा कि उन्हें किसी पद से चिपकने की जरूरत नहीं है। वह तो हमेशा साधु जैसा जीवन जीते हैं। कांग्रेस पूरी मजबूती के साथ इस चुनाव में भाजपा को हरियाणा से भगाने का काम करेगी।
आपको बता दें कि भूपेंद्र हुड्डा ने 18 अगस्त को एक बड़ी रैली का आयोजन रोहतक में किया था और कई घोषणाएं की थीं। कहा जा रहा था कि हुड्डा ने कांग्रेस हाईकमान पर दबाव बनाने के लिए इस रैली का आयोजन किया था और उसके बाद उन्होंने एक कमेटी भी बना ली और उन्होंने रैली में ही कहा था कि कमेटी जो कहेगे वही करूंगा। अब उनकी कमेटी के फैसले का इन्तजार प्रदेश की जनता और तमाम कांग्रेसी नेताओं सहित सत्ताधारी भाजपा को भी है लेकिन उसके पहले तंवर ने हुड्डा पर फिर तीर छोड़ दिया है। इन दोनों नेताओं की लड़ाई में कांग्रेसी कार्यकर्ता पिस रहे हैं। उन्हें कोई रास्ता नहीं दिख रहा है। तीन हफ्ते के अंदर विधानसभा चुनावों के लिए आचार संहिता लग जाएगी। तब तक शायद इन दोनों नेताओं में जंग जारी रहेगी। भाजपा को इन दोनों नेताओं की तकरार से बड़ा फायदा हो सकता है।
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