चंडीगढ़: लगभग तीन हफ्ते बाद हरियाणा विधानसभा चुनावों की तारीख का एलान हो सकता है। और उसके बाद आचार संहिता लग जाएगी। दो दिन बाद पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा की परिवर्तन रैली है। 18 अगस्त की इस रैली पर हरियाणा भाजपा सहित अन्य दलों के नेताओं की भी नजर है। 18 अगस्त के बाद भाजपा अपने कार्यकर्ताओं का फीडबैक लेना शुरू कर देगी और उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। वर्तमान समय तक भाजपा में अन्य दलों के बीस से ज्यादा बड़े नेता शामिल हो चुके हैं और बीस लाइन में हैं। आरएसएस की चलेगी तो भाजपा टिकट वितरण में अपने पुराने कार्यकर्ताओं को वरीयता देगी और दल बदल कर आने वालों को टिकट के लिए प्राथमिकता नहीं मिलेगी।
मिशन 75 का टारगेट पूरा करने के लिए हरियाणा भाजपा दिल्ली नगर निगम के चुनावों जैसे हरियाणा विधानसभा चुनाव लड़ सकती है। दिल्ली नगर निगम चुनावों में भाजपा ने दर्जनों कामचोर पार्षदों के टिकट पर कैंची चला दी थी जिनका फीडबैक अच्छा नहीं था। सूत्रों द्वारा जानकारी मिल रही है कि हरियाणा भाजपा अपने डेढ़ दर्जन विधानयकों की टिकट काट उन्हें घर बैठा सकती है। इन विधायकों के बारे में कार्यकर्ताओं का फीडबैक लिया जा चुका है और भाजपा कार्यकर्त्ता ही कह चुके हैं कि उनके विधायक को टिकट मिली तो पार्टी वहां से चुनाव हार सकती है।
आरएसएस के सर्वे में भी कुछ ऐसा ही कहा गया है और उस सर्वे के सूत्रों की बात करें तो 15 से 20 विधायकों की टिकट कट सकती है। वहां से युवा और ईमानदार उम्मीदवार उतारे जा सकते हैं। हरियाणा के फरीदाबाद की बात करें तो यहाँ से भी दो विधायकों की टिकट पर खतरा मडरा रहा है। इन विधायकों के बारे में जो फीडबैक लिया गया है उनमे ये खरे नहीं उतर सके हैं। अब इनके टिकट पर कैंची चल सकती है और इन विधायकों को पता भी है इसलिए किसी को किसी बड़े मंत्री का दरवाजा खटखटाना पड़ रहा है तो कोई अपने रिश्तेदार मंत्री के घर चाय पीने पहुँच रहा है।
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