फरीदाबाद: विधानसभा चुनावों के लिए अगले महीने आचार संहिता लग सकती है। भाजपा चाहती है कि जल्द से जल्द विधानसभा चुनाव करवा लिए जाएँ क्यू कि अभी दो प्रमुख पार्टियों के नेता आपस में ही लड़ रहे हैं और इस समय मुकाबले में कोई नहीं है। नई पार्टियों की बात करें तो हरियाणा में नई पार्टियों को जनता ने अब तक भाव नहीं दिया है। बात करते हैं तिगांव विधानसभा क्षेत्र की तो यहाँ से भाजपा की टिकट के दो नेता प्रमुख दावेदार हैं जबकि अगर हुड्डा ने कांग्रेस न छोड़ी तो कांग्रेस की टिकट विधायक ललित नागर को ही मिल सकती है। हुड्डा अलग रास्ते पर चले तो ललित नागर उनके साथ चलेंगे। भाजपा के दोनों नेताओं की बात करें तो पिछली बार यहाँ से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ चुके राजेश नागर या भाजपा महामंत्री और वरिष्ठ उप महापौर देवेंद्र चौधरी को टिकट मिल सकती है। दोनों नेता क्षेत्र में जमकर पसीना बहा रहे हैं।
क्षेत्र में अफवाह है कि देवेंद्र चौधरी केंद्रीय राज्य मंत्री के पुत्र हैं और भाजपा मंत्रियों के बेटों या उनके परिजनों को टिकट नहीं देगी। इस मामले पर आरएसएस और कुछ भाजपा नेताओं से बात की गई तो उन्होंने कहा कि हो सकता है कि बड़े नेताओं के बेटों या उनके अन्य परिजनों को टिकट न मिले लेकिन ऐसे नेताओं के उन परिजनों को टिकट मिल सकती है जो पार्टी के पुराने कार्यकर्ता हैं। उन्हें टिकट नहीं मिलेगी जो किसी मंत्री या सांसद के परिजन हैं और फिलहाल वो किसी अन्य देश में पढाई या कोई रोजगार कर रहे हैं।
प्रदेश के एक बड़े भाजपा नेता ने बताया कि हम अपने पुराने कार्यकर्ताओं को नजरंअदाज नहीं कर सकते और हमने अगर ऐसे पुराने कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज किया जो किसे बड़े नेता के परिजन या पुत्र हैं और पार्टी के पुराने कार्यकर्ता हैं तो भविष्य में हमारा कोई बड़ा नेता अपने परिजनों को पार्टी से नहीं जोड़ेगा। आरएसएस के एक बड़े कार्यकर्ता ने भी कुछ ऐसा ही बताया जिसे देख लगता है कि प्रदेश के बड़े नेताओं के उन परिजनों को टिकट मिल सकती है जो पार्टी के पुराने कार्यकर्त्ता हैं। देवेंद्र चौधरी की बात करें तो वो भाजपा के जिला महामंत्री और वरिष्ठ उप महापौर हैं। उनमे अब तक कोई घमंड नहीं है। जबकि कुछ विधायकों व् अन्य नेता या पूर्व विधायक के परिजन अब भी ऐसी बातें करते हैं जैसे वो गवर्नर के खास हों। देवन्द्र का स्वभाव और पुराने भाजपा नेता होने के कारण उन्हें इस बार टिकट मिल सकती है। वैसे तिगांव से अब जिसे भी भाजपा की टिकट मिलेगी जीत भी मिल सकती है। कारण फिर कभी बताएँगे। मुख्य कारण कांग्रेस की टूट-फूट
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