चंडीगढ़- पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा की कल की परिवर्तन रैली के बाद अब वही हो रहा है जो पांच साल से हरियाणा कांग्रेस करती आ रही है। प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर और पूर्व सीएम में पांच वर्षों में कभी नहीं बनी जिसका कारण है कि हरियाणा में अब कांग्रेस का लगभग बुरा हाल होने वाला है। वर्तमान में कांग्रेस के 17 विधायक हैं और भविष्य में ये संख्या 10 से भी कम रह सकती है। हुड्डा की कल की रैली में 13 विधायक और 60 से ज्यादा पूर्व विधायक शामिल हुए। हुड्डा ने एक तरह से कल अपना घोषणापत्र जारी कर दिया जिसके बाद प्रदेश अध्यक्ष तंवर ने इस अनुशासनहीनता करार दिया। तंवर ने कहा कि वह इस संबंध में पार्टी हाईकमान को बताएंगे। हुड्डा द्वारा जारी किए गए मेनिफेस्टो पर भी सवाल उठाते हुए तंवर कहा कि मेनिफेस्टो पार्टी का होता है व्यक्ति विशेष का नहींं।
आपको बता दें कि लगभग दो साल पहले तक हरियाणा भाजपा का वही हाल था जो आज कांग्रेस का है। जाट आंदोलन और पंचकूला काण्ड के बाद मनोहर लाल बहुत कमजोर सीएम कहे जा रहे थे। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से ठीक पहले हरियाणा का एक बड़े मंत्री सीएम बनने का सपना देखने लगे थे और खट्टर को हटाने की बात शुरू हो गई थी और उस मंत्री ने पूरे प्रदेश में कार्यकर्ता बनाने का काम शुरू कर दिया था। उस समय भाजपा के तमाम कार्यकर्ता भी पार्टी से नाराज थे लेकिन भाजपा ने अपनी हालत सुधार किया, अपनी कमियों को दूर किया, ढोंग, ढकोसलों पर लगाम लगाया लेकिन कांग्रेस ने अपनी हालत और ख़राब कर ली। हरियाणा में मजबूत विपक्ष नहीं रहा जिसका फायदा हरियाणा सरकार और प्रदेश के अधिकारी उठाने लगे। नुकसान जनता का होने लगा क्यू कि विपक्ष मजबूत होता तो कुछ मुद्दों पर सरकार को घेरता लेकिन अब हुड्डा तंवर को, तंवर हुड्डा को, अभय अपने भतीजे दुष्यंत को, दुष्यंत अपने चाचा अभय को घेरने में व्यस्त हैं। लगता है चुनावों तक ये सब ऐसे ही व्यस्त रहेंगे। हार के बाद ईवीएम पर सवाल उठा सकते हैं।
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