चण्डीगढ़, 24 जुलाई- हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के दिल में गरीबों के प्रति उदारता और संवेदनशीलता का एक और अदभुत उदाहरण उस समय सामने आया जब उनके हस्तक्षेप से जाटूसाना जिला रेवाड़ी का नाबालिग बच्चा रितिक विशेष बीपीएल कार्डधारक बन गया।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप से रितिक हरियाणा का पहला ऐसा नाबालिग हो गया है जिसका विशेष बीपीएल कार्ड बनाया गया है। गत 13 जुलाई को रितिक का यह मामला सामने आया था, जिस पर तुरंत कार्रवाई करते हुए रेवाड़ी के उपायुक्त ने इस बच्चे को बुलाकर राशन कार्ड की कार्रवाई को पूरा कराया। इससे पहले राशनकार्ड बनाने को लेकर आ रही तकनीकी दिक्कतों को लेकर उपायुक्त ने मुख्यमंत्री कार्यालय को स्थिति से अवगत कराया था।
इस पर, मुख्यमंत्री ने संज्ञान लेते हुए स्पेशल केस बनाकर संबंधित विभाग को तुरंत प्रभाव से कार्रवाई कर राशन कार्ड बनाने के आदेश दिए।
इससे पहले भी मुख्यमंत्री ने कुरुक्षेत्र के शाहबाद में कड़ी धूप में काम कर रहे जूता मरम्मत करने वाले एक बुजुर्ग को देखा तो उनका हालचाल जाना और 50 हजार रुपये खोखा बनाने के लिए दिलवाए और साथ ही मकान की मरम्मत और औजारों के लिए भी आर्थिक सहायता देने के निर्देश भी दिए थे।
ऐसे ही एक अन्य मामले में करनाल के प्रमोद तलवार जो ह्दय रोगी थे और उनकी सर्जरी की जानी थी, उनकी बेटी रचना तलवार ने उन्हें अस्पताल में भर्ती करवा दिया और उनकी सर्जरी हो गई, लेकिन इस ऑपरेशन की पेमेंट करने में तलवार परिवार असमर्थ था। जब मुख्यमंत्री के संज्ञान में यह मामला आया तो उन्होंने तुरंत आत्मियता और मानवता का उदाहरण देते हुए दो लाख रुपये की राशि दी और आज तलवार परिवार एक साथ करनाल में रह रहा है।
रितिक की वस्तुस्थिति
गांव जाटूसाना के सरकारी स्कूल में कक्षा सातवीं में पढ़ रहा छात्र रितिक जब वह 5 साल का हुआ मां उसे छोडक़र कहीं चली गईं। जब वह 9 साल का हुआ पिता टीबी की बीमारी के कारण चल बसा। दादा- दादी जिंदा है लेकिन वे खुद ही इतने बीमार रहते हैं कि उन्हें ही सहारा चाहिए। दो चाचा है जो मजदूरी करते हैं। वे खुद अपना पेट भर ले तो बड़ी बात है। रितिक की दिनचर्या यह है कि वह घर में अकेला रहता है। तंगी के हालत के चलते उसके पिता 8 साल पहले गांव छोडक़र मजदूरी करने लग गया था। उनके पीछे से गांव में बीपीएल सर्वे की टीम आईं और उसके कार्ड को रद्द कर उन्हें सरकार से मिले 100 गज के प्लाट को कैसिंल करके चली गईं थी। उसके पिता 4 दिसंबर 2012 को गांव वापस आया नया एपीएल राशनकार्ड बनवाया, जिससे उनका किसी तरह उसका गुजारा हो जाता था। 2016 में टीबी की बीमारी के चलते उसके पिता की मृत्यु हो गईं। राशनकार्ड को दुरुस्त कराने के लिए रितिक किसी के साथ राशनकार्ड में अपने पिता का नाम कटवाने के लिए खाद्य एवं आपूर्ति विभाग पहुंचा। यहां तकनीकी दिक्कतों की वजह से उसका कार्ड बनना संभव नहीं था, जो कि अब मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप से बन गया है।
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