फरीदाबाद: सुप्रीम कोर्ट की चैतावनी के बाद भी हरियाणा सरकार अरावली पर अवैध खनन नहीं रुकवा सकी जिसके बाद बार एसोशिएशन के पूर्व अध्यक्ष एवं न्यायिक सुधार संघर्ष समिति के प्रधान एडवोकेट एलएन पाराशर ने मार्च में सुप्रीम कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट की अवमानना की याचिका दायर किया था और अब सुप्रीम कोर्ट में 26 जुलाई को इसकी सुनवाई की तारिख पडी है। एडवोकेट पाराशर ने बताया कि इस याचिका में मैंने
चीफ सेक्रेटरी हरियाणा , डीसी अतुल कुमार फरीदाबाद, खनन विभाग की इंस्पेक्टर कमलेश कुमारी, मेवला महाराजपुर निवासी बलजीत सिंह सहित कई अधिकारियों को पार्टी बनाया था ।
एडवोकेट एलएन पाराशर ने बताया कि अरावली पर अवैध खनन पर पूर्ण रूप से प्रतिबन्ध होने के बाद भी अवैध खनन जारी देख मैंने ये याचिका दायर की थी। उन्होंने बताया कि कांत एन्क्लेव मामले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को फटकार लगाईं थी तब भी सरकार और अधिकारी अवैध खनन नहीं रुकवा सके और मैंने कई अवैध खनन की तस्वीरें और वीडियो मीडिया तक पहुँचाया तब कुछ खनन माफियाओं पर मामला दर्ज कर खानापूर्ति की गई।
वकील पाराशर ने बताया कि दर्ज हुए मामलों को मैंने आधार बनाया और सुप्रीम कोर्ट को दिखाया कि अब भी अवैध खनन जारी हैं। उन्होंने कहा किकोर्ट में दायर अवमानना याचिका में कहा है कि अरावली में हो रहे अवैध खनन और निर्माण के संबंध में कई बार हरियाणा के मुख्य सचिव, फरीदाबाद के डीसी सहित वन विभाग और खनन विभाग के अधिकारियों तक सूचना पहुंचाई लेकिन अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की। मजबूरी में सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा।
वकील पाराशर ने बताया कि अब 26 जुलाई 2019 को कोर्ट नंबर 4 में माननीय जस्टिस अरुण मिश्रा, माननीय जस्टिस एमआर शाह की अदालत में सुबह 10 बजकर 30 मिनट पर इस मामले की सुनवाई है। उन्होंने कहा कि अब हरियाणा सरकार और फरीदाबाद के अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट में जबाब देना पड़ेगा कि वो अवैध खनन क्यू नहीं रुकवा सके।
पाराशर ने कहा कि अधिकारी समझ रहे थे कि मैं एक दो बार आवाज उठा चुप हो जाऊंगा और वो अपना खेल जारी रखेंगे और उनके खनन माफिया अरावली का चीरहरण करते रहेंगे। पाराशर ने कहा कि ऐसे अधिकारियों को मालुम हो कि मैं जब तक अरावली के लुटेरों को सलाखों के पीछे नहीं भिजवा दूंगा, तब तक चुप नहीं बैठूंगा।
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