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खूब जीएसटी दे रहे हैं हरियाणा वाले, प्रतिव्यक्ति जीएसटी संग्रह 9370 रुपये सालाना

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चंडीगढ़, 23 जुलाई- राष्ट्रीय स्तर पर कई कीर्तिमान स्थापित करने के बाद हरियाणा के खाते में एक और नया कीर्तिमान जुड़ गया है क्योंकि राष्ट्रीय क्षेत्रफल का मात्र 1.8 प्रतिशत और राष्ट्रीय जनसंख्या का 2.09 प्रतिशत होने के बावजूद जीएसटी के राष्ट्रीय कोष में हरियाणा का योगदान 4.7 प्रतिशत रहा है। वर्ष 2018-19 के दौरान राज्य से प्रतिव्यक्ति जीएसटी संग्रह 21745 रुपये जबकि राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिव्यक्ति जीएसटी संग्रह 9370 रुपये रहा। इस प्रकार, हरियाणा का प्रतिव्यक्ति जीएसटी संग्रह राष्ट्रीय प्रतिव्यक्ति जीएसटी संग्रह से 2.32 गुणा अधिक रहा। 
हरियाणा के आबकारी एवं कराधान मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने इस सम्बंध में जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की अगुवाई में नित नये दिन वर्तमान राज्य सरकार उपलब्धियां हासिल कर रही है और इसी कड़ी में जीएसटी संग्रहण में हरियाणा अग्रणी राज्यों में से एक है। 

उन्होंने बताया कि प्रदेश में चार विभिन्न अधिनियमों अर्थात हरियाणा माल एवं सेवा कर अधिनियम, 2017, केंद्रीय माल एवं सेवा कर अधिनियम, 2017, एकीकृत माल एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 और राज्यों को क्षतिपूर्ति कर अधिनियम, 2017 के तहत जीएसटी संग्रह किया जाता है। जीएसटी के इन सभी अधिनियमों के तहत राष्ट्रीय स्तर पर संग्रह 11,77,369 करोड़ रुपये हुआ। इस प्रकार, हरियाणा से जीएसटी के सभी चार अधिनियमों के तहत कुल 55231 करोड़ रुपये का संग्रह हुआ जो 4602.56 करोड़ रुपये प्रति माह बनता है। वर्ष 2017-18 के आठ  महीनों में 10844.6 करोड़ रुपये के संग्रह के समक्ष वर्ष 2018-19 में राज्य जीएसटी से संग्रह 18987.83 करोड़ रुपये रहा जो 16.77 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्शाता है।
उन्होंने बताया कि रिटर्न भरने के अनुपालन के मामले में राज्य बहुत आगे है। हरियाणा का रिटर्न अनुपालन राष्ट्रीय औसत के रिटर्न अनुपालन से 4.05 प्रतिशत अधिक है। राज्य लगातार देश के शीर्ष तीन सबसे अधिक अनुपालक (मोस्ट कम्पलायंट) राज्यों में शामिल रहा है। रिटर्न न भरने वालों को नियमित तौर पर एसएमएस अलर्ट, ई-मेल और कारण बताओ नोटिस जारी किए जाते हैं। विभाग द्वारा 60 दिनों की समय सीमा के भीतर सभी रिफंड आवेदन जारी किए जाते हैं। जीएसटी के सभी अधिनियमों के तहत अब तक 1,643 करोड़ रुपये रिफंड के 10300 आवेदनों का निपटारा किया गया है। 

उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा राज्य के राजस्व में वृद्धि करने और कर-वंचन को कम करने के लिए विभिन्न टैक्स चोरी विरोधी अभियान शुरू किए गए हैं। टेक्सटाइल और कीटनाशकों जैसे विशेषकर उन क्षेत्रों में अधिक करदाताओं को कर के दायरे में लाने के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया गया, जिन्हें वैट के तहत छूट दी गई थी, लेकिन जीएसटी के तहत कर लगाया गया था। परिणामस्वरूप, पहली जुलाई, 2017 से जीएसटी लागू होने के बाद वैट व्यवस्था के तहत 2,02,013 के करदाता आधार के पूल में 2,47,814 नए करदाताओं को जोड़ा गया है। अब राज्य में कुल 4,49,827 पंजीकृत करदाता हैं। 
उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा डेटा और सूचना आधारित प्रवर्तन के विश्लेषण के लिए एक कर अनुसंधान इकाई (टीआरयू) की स्थापना की गई है। इससे धोखाधड़ी वाले इनपुट टैक्स क्रेडिट उपयोग के कई मामलों का पता चला है। देश में फर्जी चालान के मामलों का पता लगाने में कर्नाटक के बाद हरियाणा दूसरे स्थान पर है। हरियाणा में अब तक 495 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी के 100 मामलों का पता लगाया गया है। इन 100 मामलों में से, 234 करोड़ रुपये की चोरी के 49 मामले फर्जी चालान से संबंधित हैं। विभाग द्वारा फर्जी/नकली फर्मों के खिलाफ अब तक 65 एफआईआर दर्ज करवाई गई हैं और जीएसटी के तहत अब तक कुल आठ गिरफ्तारियां की गई हैं।
उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा नए पंजीकृत करदाताओं के भौतिक सत्यापन के लिए एक विशेष अभियान भी शुरू किया गया है। अब तक 85,544 नए पंजीकृत करदाताओं का भौतिक सत्यापन किया जा चुका है, जिनमें से 13,471 फर्जी और गैर-मौजूद पाए गए। इसके अलावा, अब तक 5,230 करदाताओं के पंजीकरण रद्द किए गए हैं और इन करदाताओं से 197.10 करोड़ रुपये का इनपुट टैक्स क्रेडिट रोका गया है। राज्य में पूर्ववर्ती वैट से जीएसटी में आने वाले करदाताओं द्वारा किए गए ट्रांजिशनल क्रेडिट के दावों की जांच के लिए भी एक अभियान शुरू किया गया। राज्य करों के तहत क्लेम किए गए ट्रांजेक्शनल क्रेडिट की कुल राशि 1932 करोड़ रुपये थी जिसमें से 470 करोड़ रुपये का ट्रांजिशनल क्रेडिट अमान्य पाया गया। इस अमान्य क्रेडिट में से अब तक ट्रांजेक्शनल क्रेडिट का 191.93 करोड़ रुपये का क्रेडिट रोका/रद्द/वसूल किया गया है। 
उन्होंने बताया कि ई-वे बिल कार्यान्वयन प्रणाली में, ई-वे बिल के सृजन में हरियाणा तीसरे स्थान पर जबकि गलत ई-वे बिल का पता लगाने के मामले में दूसरे स्थान पर है। प्रवर्तन गतिविधियों में लाई गई तेजी के परिणामस्वरूप वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान 87.06 करोड़ रुपये का कर जुर्माना लगाया गया। उन्होंने बताया कि विभाग ने आकलन और वसूली की प्रभावी निगरानी के लिए एक आंतरिक लेखा परीक्षा प्रणाली स्थापित करने का निर्णय लिया है। प्रत्येक कराधान जिले के लिए मूल्यांकन रिकॉर्ड और रिकवरी फ़ाइलों का आंतरिक ऑडिट करने के लिए सीए फर्मों के सूचीकरण के लिए बोलियां आमंत्रित की गई हैं।

कैप्टन अभिमन्यु ने बताया कि विभाग द्वारा हरियाणा व्यापारी कल्याण बोर्ड के अनुरोध पर व्यापारियों और उद्योगों के लिए दो बीमा योजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। मुख्यमंत्री व्यापारी सामूहिक निजी दुर्घटना बीमा योजना के तहत व्यक्तिगत दुर्घटना मृत्यु या स्थायी विकलांगता के मामले में पंजीकृत करदाताओं को पांच लाख रुपये का बीमा कवर प्रदान किया जाएगा। मुख्यमंत्री व्यापारी क्षतिपूर्ति बीमा योजना के तहत आग और सेंधमारी के मामले में पात्र करदाताओं को माल या फर्नीचर और फिक्स्चर या दोनों के नुकसान के लिए 5 लाख रुपये से 25 लाख रुपये तक का बीमा कवर प्रदान किया जाएगा। 
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