फरीदाबाद: शहर का हर भाजपा नेता कृषणपाल गुर्जर नहीं है खासकर भाजपा के विधायक और आने वाले दिनों में बड़खल जैसी बगावत जिले के कई विधानसभा क्षेत्रों में देखने को मिल सकती है। कृषणपाल गुर्जर दूसरी बार फरीदाबाद के सांसद और केंद्र में मंत्री बने ये उनकी लगभग ढाई दशकों की मेहनत है और एक समय ऐसा भी आया था जब भाजपा लघु सचिवालय के बाहर किसी मुद्दे को लेकर उस समय की हरियाणा सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करती थी तो गुर्जर के साथ गिनती के नेता हुआ करते थे और एक तरह से उस समय शहर में भाजपा नेताओं का अभाव था लेकिन गुर्जर ने कभी नहीं सोंचा कि किसी सत्ताधारी का हाँथ पकड़ लिया जाए। वो भाजपा से ही जुड़े रहे और उन्हें उसका फल भी मिला।
लोकसभा चुनावों में कुछ नेताओं ने गुर्जर की टांग खींचने का प्रयास न किया होता तो केपी गुर्जर पूरे देश में सबसे ज्यादा रिकार्ड मतों से जीत सकते थे फिर भी रिकार्ड जीत में मायने में तो तीसरे स्थान पर रहे। खास सूत्रों की मानें तो गुर्जर को पता था कि कुछ नेता उनकी टांग खींच रहे हैं लेकिन उन्होंने टांग खींचने वालों को भाव इसलिए नहीं दिया क्यू कि कई विपक्षी नेताओं से भी उनकी दोस्ती थी और उनके ऐसे दोस्तों ने दोस्ती भी निभाई सिर्फ हथीन के एक नेता को छोड़कर।
अब प्रदेश में लगभग ढाई महीने बाद विधानसभा चुनाव हैं और फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र के 9 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा की टिकट पाने के लिए लगभग 90 भाजपा नेताओं की लार टपक रही है। 90 में से कई तो दिल्ली-चंडीगढ़ में डेरा जमाये बैठे हैं तो कई सत्ताधारी विधायकों की टिकट कटवाने के लिए हर जुआड़ कर रहे हैं। वैसे जनता के मूड की बात करें तो सच में कुछ विधायक टिकट के हक़दार नहीं हैं और ये बात ऐसे विधायकों को भी पता है लेकिन कोई किसी रिश्तेदार के माधयम से टिकट लाने का प्रयास कर रहा है तो कोई खट्टर के भोलेपन का फायदा उठाना चाह रहा है।
क्षेत्र के सांसद जैसा गुण या अनुभव ऐसे विधायकों के पास नहीं है। सांसद परायों को भी अपना बना लेने में माहिर हैं तो विधायक अपनों को भी अपने नहीं बना पा रहे हैं। बड़खल विधानसभा से विद्रोह की चिंगारी उठी जो अब शोले बनने लगी है। क्षेत्र के कई नेता सीमा त्रिखा की टिकट के पीछे कैंची लेकर दिल्ली घूम रहे हैं ,कभी गुर्जर से मिल रहे हैं तो कभी अनिल जैन से और सूत्रों की मानें तो बड़खल के भाजपा नेता क्षेत्र के और संभावित बागियों को राह दिखा रहे हैं और इन बागी नेताओं को देख एनआईटी, बल्लबगढ़ और पृथला में भी फुसफुसाहट शुरू हो गई है।
भाजपा कार्यकर्ता या नेता अपने विधायकों से नाराज क्यू हैं इस बारे में हरियाणा अब तक ने गुप्त सर्वे किया तो चौंकाने वाली बात सामने आई। कुछ भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि हमें लगता ही नहीं कि प्रदेश में हमारी सरकार है। हमें रैलियों के समय बुलाया जाता है कि पांच बस भरो, दस भरो लेकिन जब हमारा कोई काम होता है तो हमारे विधायक हमारा फोन तक नहीं उठाते। कुछ ज्ञानी भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि हमारे विधायक सत्ता में आकर कितनी मलाई खा रहे हैं हमें सब पता है लेकिन हमें बासी जलेबी भी नहीं मिलती जबकि हमने उन्हें जिताने के लिए अब सब कुछ दांव पर लगा दिया था। कुछ कार्यकर्ताओं का कहना है कि जब हमारा कोई विधायक कोई बड़ा प्रोग्राम आयोजित करता है तो क्षेत्र के माफियाओं से कहता है कि एक रैली का आयोजन, आप सहयोग करें और इस तरह से क्षेत्र के कम से कम दस माफियाओं से सहयोग लेने के बहाने ही करोड़ों एकत्रित कर लेता है जबकि कार्यक्रम में कुछ लाख ही खर्च होते हैं। कुल मिलकर फरीदाबाद के अधिकतर भाजपा कार्यकर्त्ता अपने विधायकों के बारे में बहुत कुछ जानते हैं ,शायद उन्होंने किसी दिन अपने विधायक के कमरे या दफ्तर में लिफ़ाफ़ेबाजी देख ली है। अब उन्हें उनके विधायक भाव नहीं दे रहे हैं तो वो बगावत पर उतर रहे हैं। कई बड़ी जानकारियां मिलीं हैं कि क्यू विधायकों से नाराज हैं उनके ही अपने, आगे जल्द आपको बताएँगे।
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