फरीदाबाद: : लोकतंत्र में चुनाव में हार-जीत एक स्वभाविक प्रक्रिया है। न तो कोई दल हमेशा चुनाव जीत सकता है और न कोई हमेशा हार सकता है। चुनाव जीतने वाले दल को जनता की अपेक्षा पर खरा उतरना चाहिए जबकि हारने वाले दल को हताशा में पडऩे की बजाय हार का गंभीरता से विश्लेषण करके अपनी हार से सबक लेकर दोगुने जोश से अपनी विचारधारा को दृढ़ रखकर जमीन पर संघर्ष के लिए जुट जाना चाहिए। ये कहना है हरियाणा कांग्रेस लीगल सेल प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट राजेश खटाना का जिन्होंने कहा कि हरियाणा में कांग्रेस हाईकमान जल्द से जल्द संगठन को वरीयता दे और प्रदेश और जिला स्तर पर जल्द संगठन बनेगा तो इसका फायदा विधानसभा चुनावों में अवश्य मिलेगा।
उन्होंने कहा कि मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर ने अब तक संगठन नहीं तैयार किया जबकि उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बने लगभग पांच साल हो चुके है और यही कारण है कि हरियाणा में कांग्रेस को कई चुनावों में हार का सामना करना पड़ा क्यू कि संगठन न बनने से कार्यकर्ता भी निराश हैं। राजेश खटाना ने कहा कई प्रदेश में अध्यक्ष बदलने की जरूरत है और किसी तजुर्बेकार नेता को हरियाणा कांग्रेस की कमान सौंपी जाए।
उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद पार्टी के नेताओं को बहानेबाजी करके बचने की बजाय अपना आत्मविश्लेषण करके अपनी कमियों को दूर करने को प्राथमिकता देने की जरूरत है। खटाना ने कहा कि जमीनी धरातल की वास्तविकता यह है कि विगत छह सालों से हरियाणा कांग्रेस में जिला व ब्लॉक स्तर पर विधिवत रूप से कहीं भी पदाधिकारी, संगठन है ही नही। भाजपा के केन्द्र व हरियाणा सरकार की किसी भी जनविरोधी नीति के खिलाफ विगत पांच सालों में कांग्रेस ने एक भी जनआंदोलन नही किया। पार्टी के नेताओं ने विगत पांच सालों में जितनी भी राजनीतिक गतिविधियां की है, वे जनता की लड़ाई लडने व कांग्रेस को मजबूत करने की बजाय खुद के प्रचार व खुद की चौधर के लिए लड़ी है। ऐसी स्थिति में पार्टी की हार तो होनी ही थी।
उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनावों में अभी तीन से चार महीने का समय है। जल्द से जल्द संगठन बनाया जाए ताकि कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार हो और विधानसभा चुनावों में हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बन सके।
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