फरीदाबाद: या तो शहर के नेता झूंठ बोलते हैं या अधिकारी लापरवाह हैं तभी फरीदाबाद विधानसभा क्षेत्र के संत नगर के लगभग 15 हजार लोग अब भी नरकीय जीवन जी रहे हैं। ये कहना है बार एसोशिएशन के पूर्व प्रधान एवं न्यायिक सुधार संघर्ष समिति के प्रधान एडवोकेट एलएन पाराशर का जिन्होंने कहा कि लगभग 11 महीने पहले पांच अगस्त 2018 को शहर के दो मंत्रियों ने संत नगर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए लगभग 12 करोड़ रूपये की लागत से कई परियोजनाओं का शिलान्यास किया था और कहा था कि 9 महीने में संत नगर का कायाकल्प हो जाएगा। नेताओं ने दावा किया था कि 9 महीने में संतनगर की तस्वीर बदल जाएगी। लेकिन संत नगर का इस बहुत बुरा हाल है। न यहाँ सड़कें बनी हैं न नालियां और लोग गंदगी से बीमार हो रहे हैं।
पाराशर ने कहा कि शिलान्यास करते वक्त नेताओं ने कहा था कि स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत करीब 10 करोड़ रुपये की लागत से संतनगर में मूलभूत ढांचा सुधारा जाएगा लेकिन 11 महीने हो गए और अब तक 25 फीसदी काम भी नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि अब तक यहाँ न सीवर लाइन और न पेयजल के लिए पाइपलाइन डाली गई । कहा गया था कि संतनगर की गलियों को सीमेंटेड बनाया जाएगा और सीवरलाइन को राष्ट्रीय राजमार्ग की सीवरलाइन से जोड़ा जाएगा। ये भी काम नहीं पूरा हुआ। पाराशर ने कहा कि नेताओं ने कहा था कि यहाँ कि पेयजल आपूर्ति के लिए एक बूस्टर बनेगा लेकिन अभी बूस्टर भी नहीं बना है। स्थानीय लोगों ने पाराशर को बताया कि गटर का पानी पीने के पानी में मिल रहा है और कुछ निर्माण हो भी रहे हैं तो वहां पीली ईंट लगाई जा रही है।
पाराशर ने कहा कि इसी तरहं से कछुआ चाल काम चलता रहा तो 10 साल बाद भी संतनगर स्मार्ट सिटी नहीं बन पायेगा। उन्होंने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों को महा लापरवाह और कामचोर बताते हुए कहा कि शहर की दीवारें रंग देने से फरीदाबाद स्मार्ट सिटी नहीं बन सकता। शहर की जनता को हर तरह की सुविधाएं चाहिए जो नहीं मिल रहीं हैं। उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी के नाम पर अब बाटा और नीलम फ्लाईओवर पर कुछ दीवारें रंगी गई हैं, नेताओं ने जो दावे किये थे वो अब तक पूरे नहीं हुए।
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