नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर कल से हर तीसरी पोस्ट गांधी और गोडसे को लेकर पोस्ट की जा रही है। देर शाम भोपाल की भाजपा प्रत्याशी प्रज्ञा ठाकुर ने अपने बयान के लिए माफी मांग ली लेकिन उसके साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के नाथूराम गोडसे को देशभक्त कहने पर मचे बवाल के बाद उनके समर्थन देने के मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री और कर्नाटक बीजेपी के नेता अनंत कुमार हेगड़े उनके साथ दिखे और कहा माफी मांगने की कोई जरूरत नहीं है। अब वो भी पलट रहे है और उनका कहना है कि मेरा ट्विटर अकाउंट कल से हैक है। महात्मा गांधी की हत्या को न्यायोचित ठहराने का कोई औचित्य ही नहीं बनता। हम सभी महात्मा गांधी के राष्ट्र को दिए योगदान का सम्मान करते हैं।
दरअसल इससे पहले उनके दो ट्ववीट चर्चा का विषय बने थे। इस पर मचे विवाद पर हेगड़े ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि उनका ट्विटर अकाउंट हैक हो गया था। सोशल मीडिया पर हर कोई पलट भी नहीं रहा है और नाथूराम को तमाम लोग अब भी देशभक्त बता रहे हैं।
"नाथूराम गोडसे" को आतंकवादी कहने वालों, अगर वो नहीं होते तो:- कश्मीर आज पाकिस्तान का होता- निजाम (आंध्र व आधा कर्नाटक) व जूनागढ़ (गुजरात) पाकिस्तान का होता- 3 करोड़ हिंदू लडकियों के और बलात्कार होते- 8 करोड़ हिंदू और मारे जाते- तिरंगे 🇮🇳 की जगह चांद-तारा 🇵🇰 यहां का झंडा होता pic.twitter.com/xjg8GqXynt
— Chowkidar l BLACK STAR (@realblackstar2) May 13, 2019
एक यूजर ने लिखा है कि "नाथूराम गोडसे" को आतंकवादी कहने वालों, अगर वो नहीं होते तो:
- कश्मीर आज पाकिस्तान का होता
- निजाम (आंध्र व आधा कर्नाटक) व जूनागढ़ (गुजरात) पाकिस्तान का होता
- 3 करोड़ हिंदू लडकियों के और बलात्कार होते
- 8 करोड़ हिंदू और मारे जाते
- तिरंगे 🇮🇳 की जगह चांद-तारा 🇵🇰 यहां का झंडा होता
दिल्ली के पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा ने लिखा है कि
गोडसे ने अगर बापू को नहीं मारा होता तो शायद बापू को ये देश इतना महान और बड़ा नहीं मानता।
बापू के नाम और जो दुकानें और धन्धे चल रहे हैं वो भी नहीं चलते
नकली गांधी बनकर राज करने वाले शायद आज होते ही नहीं कहीं।
हत्या ने बापू को महान बना दिया और उन असली मुद्दों को छोटा कर दिया जिनके भावावेश में हत्या हुई।
जीवन के अंतिम दिनों में बापू पाकिस्तान और पाकिस्तानी सोच के आगे समपर्ण करते दिखते हैं , अपने अहिंसा के सिद्धांत को महान बनाने का एक लालच उन्ही आंखों पर पट्टी की तरह बंध गया था, ऐसा लगता हैं।
अगर बापू जिंदा रहते तो देश मे खुलकर इन मुद्दों की चर्चा होती, लेकिन बापू की हत्या के कारण इन मुद्दों पर बोलना ही गुनाह बन गया।
हत्या होते ही बापू के बारे में नेगेटिव बोलना अपराध बन गया। बापू जिंदा होते तो जिस रास्ते पर वो चल चुके थे, वो लोगों में तेजी से अनपॉपुलर होते।
जैसे आज गोडसे के विचार या सोच बताने के लिए मुश्किल होती हैं, वैसे गांधी के विचार बताने में मुश्किल होती।
लोगों के मन मे गांधी की आंदोलन, अहिंसा, महात्मा की छवि धुंधली हो जाती और पाकिस्तान के प्रति समर्पण, अहिंसा को सही बताने की अंधी जिद्द में कायरता की तरफ झुकना जैसी यादें ही रह जाती।
बापू को ना भारत में साथ मिलता ना पाकिस्तान में। शायद उन्हें राष्ट्रपिता भी ना माना जाता।
गोडसे ने बापू की हत्या करके एक तरह की नई लाइफलाइन दे दी बापू के विचारों को...
लेकिन हत्या ने वो सभी सवाल दबा दिए लंबे समय के लिए ...
आज सत्तर साल बाद लोगों के मन में सवाल उठने लगे हैं दुबारा, बंटवारे के समय किसने क्या किया, क्यों किया ?
शायद सौ साल बाद खुलकर बोलने और कहने भी लगेंगे सब।
गोडसे के बयानों और कोर्ट की कार्यवाही को पढ़कर हर कोई भावुक होता हैं।
बिना गांधी की हत्या के अगर वो विचार सामने आते तो विचारों की ताकत कुछ और भी ज्यादा होती। शायद नकली गांधीवादियों का गंदा खेल देश को ना झेलना पड़ता।
आज ऊपर कहीं बापू और गोडसे एक साथ बैठे होंगे, एक दूसरे को जानने समझने का पूरा समय होगा उनके पास। भगवान राम में दोनों की आस्था थी इसलिए दोस्ती भी हो गयी होगी।
क्या सोचते होंगे दोनों - शायद गोडसे सोचते होंगे कि हिंसा ना करता तो ज्यादा अच्छा होता और बापू सोचते होंगे कि देश और धर्म के आत्मसम्मान के लिए कभी कभी अहिंसा छोड़नी भी पड़े तो ठीक हैं ।
बापू और गोडसे तो एक दूसरे को समझ चुके होंगे लेकिन हम शायद हम ना बापू को समझ पाए और ना गोडसे को
- कपिल मिश्रा
Post A Comment:
0 comments: