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हरियाणा में 10 की 10 सीटें जीत रहे हैं: मनोहर लाल

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चंडीगढ़: हरियाणा कांग्रेस के लिए 23 मई का दिन काफी खास है। लगभग पांच साल से अधिकतर चुनाव हारती जा रही कांग्रेस अगर 4 सीटों पर जीत पाती है तो कांग्रेस के लिए थोड़ी राहत होगी लेकिन अगर भाजपा 7 या उससे ज्यादा सीटें जीतती है तो पांच महीने के अंदर होने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का हाल फिर बेहाल हो जायेगा। 19 मई को सातवें और आखिरी चरण के मतदान के बाद से ही चल रहे एग्जिट पोल ने हरियाणा में विपक्षी दलों की नींद उड़ा दी है। लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के बल पर खुद को जीत के बेहद करीब मानकर चल रहे राजनीतिक दलों में एग्जिट पोल रिपोर्ट के बाद मंथन का दौर शुरू हो गया है। अगर चुनाव परिणाम एग्जिट पोल रिपोर्ट के अनुकूल आ जाते हैं तो हरियाणा के चुनावी रण में उतरे सभी राजनीतिक दलों के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है।
एग्जिट पोल के नतीजों के बाद हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने कल करनाल में कहा कि  हमने पहले ही कहा था नरेंद्र मोदी देश के एक बार फिर से प्रधानमंत्री बनेंगे। भाजपा को जनता का प्यार मिला है और एग्जिट पोल ने उस पर मुहर भी लगाई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की 10 की 10 सीटें भाजपा जीतेगी।
प्रदेश में लोकसभा की 10 सीटों को लेकर एग्जिट पोल के अलग-अलग नतीजे हैं। कुछ सर्वे एजेंसियां दिखा रही हैं कि राज्य में भाजपा सभी 10 सीटों पर जीत हासिल कर सकती है। वहीं कुछ का कहना है कि 7 से 8 भाजपा और 2 से 3 सीटों पर कांग्रेस जीत हासिल कर सकती है। कुछ न्यूज चैनल 8-2 का आंकड़ा बता रहे हैं यानी 8 भाजपा और 2 कांग्रेस। भाजपा और कांग्रेस सभी 10 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। वहीं इनेलो ने भी सभी 10 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हुए हैं। इनेलो से अलग होकर बनी जननायक जनता पार्टी ने आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा। जजपा ने 7 और आप ने 3 सीटों पर प्रत्याशी खड़े किए। इसी तरह से भाजपा के बागी सांसद राजकुमार सैनी ने अपनी लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी का बसपा से गठबंधन कर चुनाव लड़ा। लोसुपा ने 2 और बसपा ने 8 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए। 

अगर भाजपा 8 सीट जीतने में कामयाब हो जाती है तो विधानसभा चुनावों में इनेलो, बसपा, जजपा और लोसपा जैसी पार्टियों को प्रदेश में नया समीकरण बनाना पड़ेगा। अफवाह है कि भाजपा की अगर बम्पर जीत होती है तो विधानसभा चुनाव जल्द करवाए जा सकते हैं। हरियाणा कांग्रेस की बात करें तो कई जिलों में कांग अब भी बिना पेंदी के लोटे जैसी है। कांग्रेस के पास जिला अध्यक्ष तक नहीं हैं। कांग्रेस की बड़ी हार होती है तो अशोक तंवर पर भी गाज गिर सकती है क्यू कि पांच सालों में हरियाणा में जितने भी चुनाव हुए सबमे कांग्रेस को लगभग हार मिली है। नगर निगम हो या पंचायत के चुनाव, या जींद उप चुनाव, कांग्रेस कहीं भी मुकाबले में नहीं दिखी।  

मनोहर लाल के सीएम बनने के बाद लगभग दो साल तक हरियाणा भाजपा का भी हाल बेहाल रहा और तमाम भाजपा कार्यकर्ता अपनी पार्टी से नाराज थे लेकिन भाजपा ने अपने अधिकतर कार्यकर्ताओं को मना लिया जबकि कांग्रेस अब भी आपस में लड़ रही है। हरियाणा कांग्रेस के मुखिया अशोक तंवर एक कमजोर अध्यक्ष साबित हो रहे है। 

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