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गड़बड़झाला करने वाले MCF अधिकारियों पर गिर सकती है गाज: पाराशर

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फरीदाबाद: शहर में सबसे ढीला काम नगर निगम अधिकारियों का है। इस विभाग के अधिकारी जानबूझकर किसी मामले की जानकारी नहीं देते। ये कहना है बार एसोशिएशन के पूर्व अध्यक्ष एवं न्यायिक सुधार संघर्ष समिति के अध्यक्ष एडवोकेट एलएन पाराशर का जिन्होंने बताया कि एक मामले को लेकर मैं नगर निगम में आरटीआई के माध्यम से 16 अगस्त 2018 को जानकारी माँगी थी लेकिन नगर निगम से कोई जबाब नहीं आया। इसके बाद मैंने 1 अक्टूबर को मैंने प्रथम अपील दुबारा की लेकिन फिर भी कोई जानकारी नहीं दी गई। 

वकील पाराशर ने बताया कि इसके बाद मैंने 10 दिसंबर को सेकेण्ड अपील स्टेट इंफार्मेशन कमीशन आफ हरियाणा ( चंडीगढ़ )  में की इसके बाद भी कोई जानकारी नहीं दी गई। फिर स्टेट इंफार्मेशन कमीशन ने एक सख्त कदम उठाते हुए आदेश दिया कि दो हफ्ते के अंदर इन्हे सभी तरह की जानकारी दी जाये और यदि जानकारी 50 पेज से ज्यादा की हो तो दो रूपये प्रति पेज लिए जाएँ व् अगर ये कोई जानकारी देखना चाहें तो इन्हे कार्य दिवस पर सभी दस्तावेज दिखाए जाएँ। इसके साथ-साथ स्टेट इंफार्मेशन कमीशन ने नगर निगम अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस दिया कि अब तक मामले की जानकारी क्यू नहीं दी गई। कारण बताओ नोटिस में ये हिदायत भी दी गई कि समय से जानकारी न देने पर क्यू न तुम पर 250 से 25000 रूपये तक का जुर्माना लगाया जाए क्यू कि आपने अपीलकर्ता को समय से जानकारी नहीं दी। स्टेट इंफार्मेशन कमीशन नगर निगम अधिकारियों को आदेश दिया कि अपीलकर्ता को 18 जून 2019 तक सभी जानकारी लिखित में दी जाए। साथ में निगम अधिकारियों को ये भी निर्देश दिया गया कि 8 अगस्त 2019 को अगली सुनवाई सुबह 10:30 तक व्यक्तिगत तौर पर हाजिर हों। स्टेट इंफार्मेशन कमीशन ये भी ये भी हिदायत दी कि आप शो काज नोटिस का जबाब दें और अगर इस बार भी कोई लापरवाही की कि तो आगे कोई भी मौका नहीं दिया जाएगा। 

वकील पाराशर ने कहा कि निगम से मैंने वीपी स्पेसेज के बारे में जानकारी माँगी थी जिसमे खाली फ़्लैट का कंप्लीशन दे दिया गया था। जिस समय कंप्लीशन दिया था था उस समय वो प्लाट पूरी तरह से खाली था लेकिन निगम अधिकारियों की मिलीभगत से खाली प्लाट का कंप्लीशन करवा लिया गया। पाराशर ने कहा कि अधिकारी गलत हैं तभी कोई जानकारी नहीं दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये गड़बड़झाला उन्ही लोगों ने किया था जिन्होंने एक स्टाम्प से दो रजिस्ट्री और उस रजिस्ट्री पर लाखों का लोन ले लिया था। वकील पाराशर ने कहा ये कुछ माफिया निगम अधिकारियों की मिलीभगत से बड़ा घोटाला और फ्राड कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यही कारन है कि कोई जानकारी मांगने पर निगम अधिकारी खामोश रहते हैं। 
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