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हरियाणा में 7 से कम सीटें पाई भाजपा तो विधानसभा चुनावों में खड़ी हो जाएगी खट्टर की खटिया

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चंडीगढ़: 23 मई को लोकसभा चुनावों के परिणाम से पहले हरियाणा में भाजपा और कांग्रेस दावा कर रही हैं कि सभी 10 सीटों पर उनकी विजय होगी। 2014 में भाजपा को 7 सीटों पर जीत मिली थी और इस बार 10 सीटों का दावा कर रही है। कांग्रेस के बड़े नेताओं का दावा सभी 10 सीटों का है लेकिन गुप्त रूप में कई कांग्रेसी नेता कहते हैं कि पांच सीट तो पक्की ही है। दीपेंद्र और भूपेंद्र हुड्डा की सीट पक्की बताई जा रही है। कुमारी सैलजा, श्रुति चौधरी को भव्य बिश्नोई की भी सीट पर जीत का दावा ठोंका जा रहा है। कहा जा रहा है कि सिरसा से अशोक तंवर भी सीट निकाल सकते हैं। 
2014 भाजपा जो 3 सीटें हारी थी, उन सीटों में रोहतक, हिसार और सिरसा सीट शामिल थी। रोहतक सीट कांग्रेस प्रत्याशी दीपेंद्र हुड्डा ने जीत थी। अगर भाजपा इस बार 7 से कम सीटों पर जीत पाती है तो भाजपा के मिशन 150 में पलीता लग सकता है और लगभग चार महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा के लिए खतरे की घंटी बज सकती है। 

इस लोकसभा चुनाव की बात करें तो हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों पर लगभग 25 फीसदी मतदाता अपने उम्मीदवार का नाम तक नहीं जानते थे। उन्होंने सिर्फ मोदी के नाम पर भाजपा को वोट दिया। उन्हें ऐसा लगता था कि मोदी ही उनके क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा उम्मीदवार मोदी के नाम पर कम से कम 50 फीसदी वोट हर लोकसभा क्षेत्र में पाएंगे। अगर अब भी भाजपा 7 सीटों से कम पर अटक जाती है तो विधानसभा चुनावों में भाजपा को सरकार बनाना मुश्किल हो जाएगा। सीएम खट्टर के नाम पर भाजपा को 10 फीसदी वोट भी शायद ही मिलें। 70 फीसदी वर्तमान भाजपा विधायकों और कई बड़े मंत्रियों के कामकाज से जनता खुश नहीं है। भाजपा को 50 फीसदी विधायकों की टिकट पर कैंची भी चलानी पड़ सकती है और ऐसा न हुआ तो हालत और ख़राब हो जाएगी। वर्तमान समय में हरियाणा भाजपा के नेता जनता से कहें कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल रैली को सम्बोधित करने पहुँच रहे हैं और जनता उनके विचारों को सुनने के लिए रैली में पहुंचे तो 100 से ज्यादा लोग अपने आप नहीं पहुँच सकते। सीएम की रैलियों में लोग लाये जाते हैं। अपने आप नहीं पहुँचते हैं। ये बात भाजपा नेताओं को पता है। 

 2014 में मोदी लहर ज्यादा थी। इस बार उतनी नहीं दिख रही है। अगर केंद्र में भाजपा की पूर्ण बहुमत से सरकार बनती है और एनडीए को पिछली बार जितनी सीटें मिलतीं हैं तो मोदी खट्टर की नाव मजधार से पार निकाल सकते हैं और अगर कम सीटें मिलीं तो हरियाणा भाजपा का हाल बेहाल हो सकता है। लोकसभा चुनावों के दौरान मैंने तीन राज्यों का दौरा किया और कई जगहों पर देखा कि जनता को अपने उम्मीदवार का नाम नहीं पता। सिर्फ मोदी का नाम याद है। 
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