नई दिल्ली: सात साल में पहली बार ऐसा हुआ है जब आम आदमी पार्टी की हालत बेहद खराब है। इसका कारण कांग्रेस के पीछे कटोरा लेकर गठबंधन की भीख मांगना, टुकड़े गैंग से खास लगाव, सर्जिकल और एयर स्ट्राइक का सबूत मांगना, अन्य कई कारण हैं जबकि दिल्ली में केजरीवाल सरकार बहुत अच्छा काम कर रही थी लेकिन केजरीवाल के कारण अब सब कुछ सत्यानाश होते दिख रहा है। आठ माह बाद दिल्ली में विधानसभा चुनाव हैं। केजरीवाल को जल्द खुद में बदलाव लाने की जरूरत है वरना हाल बेहाल हो सकता है। केजरीवाल के ख़ास साथी रहे पूर्व मंत्री एवं आम आदमी पार्टी के बागी विधायक कपिल मिश्रा ने सोशल मीडिया पर एक लेख पोस्ट किया है। पढ़ें
केजरीवाल के अंधे उलूक चम्पूओं का सच
- a blog post by Kapil Mishra
कल दिल्ली का लोकसभा का परिणाम आया। दिल्ली ने सातों सीटें मोदी को दी और खुलकर दी। ऐतिहासिक 56% वोट शेयर के साथ।
विधानसभा के हिसाब से देखें तो दिल्ली के मालिक बनकर बैठे केजरीवाल की पार्टी की 48 सीटों पर जमानत ज़ब्त हुई।
54 सीटों पर आम आदमी पार्टी दिल्ली में तीसरे नम्बर पर रही और 16 सीटों पर दूसरे नम्बर पर।
70 में से एक भी विधानसभा में केजरीवाल की पार्टी पहले नम्बर पर नहीं रही। एक पर भी नहीं।
5 सीटों पर कांग्रेस पहले नम्बर पर हैं और 65 सीटों पर भाजपा पहले नम्बर पर हैं।
केजरीवाल की नई दिल्ली विधानसभा, जहां से केजरीवाल खुद विधायक हैं वहां AAP की जमानत जब्त हुई।
पटपड़गंज जहां से मनीष सिसोदिया विधायक हैं वहां AAP की जमानत ज़ब्त हुई।
शकूरबस्ती जहां से सत्येंद्र जैन विधायक हैं वहां AAP की जमानत जब्त हुई।
दिल्ली के मंत्री और प्रदेश अध्यक्ष गोपाल राय की विधानसभा बाबरपुर में AAP की जमानत ज़ब्त हुई।
अब एक नया खेल शुरू हुआ हैं - विशुद्ध पैसे और दलाली का खेल।
हर बार की तरह ये खेल कुछ पत्रकार और कुछ बॉलीवुड के फ्लॉप सितारों द्वारा खेला जाएगा । ये वो लोग हैं जो केजरीवाल के हर झूठ को बिना जाने , बिना सच चेक किये, बस माल की तरह बेचते हैं।
इनमें से ज्यादातर सीधा पैसे लेकर ये काम करते हैं और कुछ केजरीवाल से इंटरव्यू मिल जाएगा या एक RT हो जाने के लालच में ही अपने प्रोफेशन की बोली लगा देते हैं।
जैसे प्रकाशराज जिसकी खुद की जमानत जब्त हुई और दिल्ली में स्टार प्रचारक बन कर घूम रहा था। या जिग्नेश मेवानी जो जब आतिशी के लिए वोट मांगने गया तो उसको कोई पहचानता ही नहीं था।
दिल्ली की जनता केजरीवाल को, उसके फ्रॉड और झूठ को नकारती जा रही हैं लेकिन ये "अंधे उलूकों" का झुंड हर बार कोई एक नई थ्योरी पेश करके केजरीवाल की इज्ज़त बचाने और अपनी दुकान चलाने का जुगाड़ करता रहता हैं
ऐसे लगभग 7-8 अंधे उलूक चंपू/चंपूआनी दिल्ली में हैं।
इस बार ये "अंधे उलूक" एक नई कहानी समझाना चाहते हैं - "पहले भी केजरीवाल लोकसभा हारा था, फिर विधानसभा जीता। अब दुबारा विधानसभा जीत सकता हैं।"
ये 'अंधे उलूक" "गिरते हुए केजरीवाल" को "उठता हुआ केजरीवाल" बता रहे हैं।
"शिखर से लुढ़कते हुए" को "पहाड़ पर चढ़ता" हुए बता रहे हैं।
"सूर्यास्त" की तस्वीर को "सूर्योदय" बताकर बेचने की कोशिश कर रहे हैं।
पांच साल पहले की दिल्ली और आज की दिल्ली में बस इतना सा ही अन्तर हैं जो ये समझते हुए भी अनजान बने हुए हैं।
दिल्ली में 67 सीटें जीतने के बाद केजरीवाल कहीं कोई चुनाव नहीं जीता। दिल्ली के नगर निगम से लेकर, पंजाब, गोआ, राजस्थान और सब जगह चुनाव भी हारा, संगठन भी ख़तम हुआ और साख पर भी दाग लगे।
आज चुनाव प्रचार करने के लिए भी एक दो फ्लॉप सी ग्रेड मूवी कलाकारों के अलावा कोई नहीं बचा।
केजरीवाल ने राज्यसभा की सीटें खुलेआम बेच दी लेकिन इस "अंधे उलूक" चम्पूओं के समूह ने उसे महान निर्णय बताया कि अजगरधारी अब हरियाणा भी जिताएगा। कल हरियाणा में जनता ने पार्टी को ही जयहिंद कर दिया ।
केजरीवाल टुकड़े टुकड़े गैंग के साथ खड़ा हुआ, ये अंधे उलूक चंपू उसे महान बताने लगे।
केजरीवाल लालू, कनिमोई, डी राजा के साथ खड़ा हुआ, ये अंधे उलूक चंपू उसकी गाथा गाने लगे।
संसद को उड़ाने वालो से सुहानुभूति रखने वाले परिवार को दिल्ली से लोकसभा टिकट दिया। ये अंधे उलूक चंपू उसे आदर्श उम्मीदवार और महान शिक्षाशास्त्री बताने लगे।
इनमें से कई अंधे उलूक चम्पूओं की हालत तो ऐसी हैं कि केजरीवाल की गाड़ी का दरवाजा खोलने वाला पटेल भी अगर दो गंदी गाली देकर उनसे कहें कि अभी ये ब्रेकिंग खबर चला दो कि अलका लांबा ने इस्तीफा दे दिया।
ये अंधे उलूक चंपू बिना कोई तथ्य चेक किये अपने चैनल पर रात को एक्सक्लूसिव ब्रेकिंग न्यूज़ बनाकर चला देते हैं।
फिर सुबह अपने बॉस को कोई नया झूठ बेचकर अपनी नौकरी बचाते हैं।
अब ये अंधे उलूक चम्पूओं का समूह एक नई कहानी बेच रहा हैं। केजरीवाल के दुबारा विधानसभा जीतने की संभावनाओं की कहानी।
ये कहानी पूर्णतया कमर्शियल हैं। स्पॉन्सर्ड हैं। इसको लिखने वाला या तो बिक चुका हैं या अपने दाम का मोलभाव कर रहा हैं।
कोई अंधा उलूक चंपू ही 2015 के चुनाव की तुलना 2020 के आने वाले चुनाव से कर सकता हैं।
2015 में केजरीवाल 49 दिन की सरकार चलाने के बाद, बनारस से मोदी के ख़िलाफ़ लड़कर मुसलमानों का मसीहा बनकर , पांच साल के लिए एक स्थिर सरकार के लिए वोट मांगने निकला था। उसके पास योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, कुमार विश्वास जैसे लोग थे। एनआरआई युवाओं की पूरी फौज थी। गली गली में कार्यकर्ता थे जो आज़ादी की लड़ाई समझकर लड़ रहे थे। छवि ईमानदार, औरों से अलग, मेहनती और पढ़े लिखे इंसान की थी। केंद्र में मोदी दिल्ली में केजरीवाल का नारा था।
आज क्या हैं - पांच साल का ट्रैक रिकॉर्ड जो फ़टे हुए ढोल की तरह गूंज गूंज कर कह रहा हैं केजरीवाल निकम्मा हैं।
कार्यकर्ता गायब हैं उनकी जगह दलालों ने ले ली हैं।
हर सवाल पूछने वाला बाहर हैं और उनकी जगह हर बात पर मुंडी हिलाने वाले चार पांच चमन सल्फ़ेट दरबारी बैठे हैं।
केजरीवाल की जात पात धर्म की गंदी राजनीति की पूरी मूवी जनता देख चुकी हैं और उसे रेडियो की स्टाइल में पांच में से एक मिर्ची देकर फ्लॉप कर चुकी हैं।
क्रेडिबिलिटी का आलम ये हैं कि आतिशी के गंदे पर्चे वाली न्यूज़ पर हर आदमी का एक ही रिएक्शन था - केजरीवाल ने खुद ही किया होगा।
उसके पिटने पर सुहानुभूति नहीं हंसते हैं लोग।
जब वो कहता हैं कोई मुझे मरवाना चाहता हैं, तो दिल्ली वाले हंसकर उसे किस नाम से बुलाते हैं वो यहां लिखना भी मुश्किल हैं।
जनता को एक बात दिख गई हैं कि केंद्र सरकार तो छोड़ो, केजरीवाल नगर निगम, दिल्ली पुलिस, सरकारी अफसर किसी के साथ मिलकर काम नहीं कर सकता।
केजरीवाल की सरकार इतनी बुरी तरह फिसड्डी साबित हुई कि जिन शीला दीक्षित को पांच साल पहले जनता ने नकारा था, अब जनता कहने लगी हैं कि यार इस बंदर के हाथ मे उस्तरा देने से बेहतर तो शीला ही थी।
ऐसी इतनी बातें और इतने तथ्य हैं कि लिखते लिखते दिल्ली विधानसभा के चुनाव पूरे हो जाएंगे, इसके बावजूद कुछ अंधे उलूक चम्पूओं का कहना हैं कि जो 2015 में हुआ वो 2020 में फिर हो सकता हैं।
आज मैं ऐसे अंधे उलूक चमपुओं से कहना चाहता हूँ, चंद पैसों के लिए अपना ईमान मत बेंचो। अपने प्रोफेशन की नीलामी मत करो। अपने बच्चों के साथ धोखा मत करो।
कौन से मोहल्ला क्लिनिक में लाखों जनता जा रही हैं, क्यों झूठ बेचते हो?
सरकारी स्कूलों का दिल्ली में पिछले 15 साल का सबसे खराब रिजल्ट आया हैं.
पानी की कमी और महंगे बिजली के बिल घरों में आग लगा रहे हैं।
सड़के टूटी हैं और हवा प्रदूषित।
लेकिन ये अंधे उलूक चंपू दिल्ली में दिल्ली में काम हुआ हैं ऐसा ट्वीट करते हैं।
काम हुआ तो वोट कहाँ गया?
ये पब्लिक हैं, सब जानती हैं।
जरा सोचों अगर दिल्ली में लाखों बच्चों का स्कूल सुधर गया होता, लाखो लोगो का मोहल्ला क्लिनिक में इलाज हुआ होता तो केजरीवाल की लूटी हुई दुकान के बाहर "जमानत जब्त पार्टी" का होर्डिंग क्यों लगा होता?
तुम्हारी झूठी ट्वीट, स्पॉन्सर्ड लेख या फ़ोन पर पटेल से आर्डर सुनकर चलाई गई ब्रेकिंग न्यूज़ दिल्ली के साथ धोखा हैं। दिल्ली की सवा करोड़ जनता के साथ धोखा हैं।
इस शहर को बचाने के लिए सच लिखिए। फ्रॉड केजरीवाल के फ्रॉड को उजागर कीजिये।
आंदोलन के नाम पर हुए धोखे का सच, करप्शन से लड़ने के नाम पर हुए धोखे का सच, अलग तरह की राजनीति के नाम पर हुए धोखे का सच - लिखो, बोलो, बताओ
जनता तो अपना निर्णय सुना ही देगी,
लेकिन अगर अब भी केजरीवाल के इशारों पर झूमते रहोगे तो इस शहर के इतिहास में तुमको केवल एक ही नाम से जाना जाएगा - केजरीवाल के अंधे उलूक चंपू
- कपिल मिश्रा
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