नई दिल्ली/ फरीदाबाद: लोकसभा चुनाव में कई विधायक सांसद बन गए तो नगर निगम के एक पार्षद भी पार्षद से सांसद बन गए जिसके बाद पार्षदों को लगने लगा कि हम अच्छा काम करें तो कोई भी मंजिल दूर नहीं है। फरीदाबाद नगर निगम क्षेत्र के वार्ड नंबर 37 के पार्षद दीपक चौधरी ने लोकसभा चुनावों में भाजपा प्रत्याशी कृष्णपाल गुर्जर का साथ दिया और उन्हें भारी मतों से जिताने के बाद अब उनकी नजर बल्लबगढ़ विधानसभा पर है। दीपक चौधरी ने तैयारी भी शुरू कर दी है और कछुआ चाल वाली तैयारी नहीं युद्ध स्तर वाली तैयारी उन्होंने शुरू की है। नगर निगम चुनावों में उन्हें भाजपा ने टिकट नहीं दिया था जिसके बाद वो आजाद मैदान में उतरे और जीत हासिल की। हाल में आरएसएस की सर्वे रिपोर्ट में चौंकाने वाली बात आई जिसमे कहा गया कि चौधरी भी भाजपा के टिकट के हक़दार हैं।
बल्लबगढ़ के विधायक पर एक महीने पहले बिजली चोरी के आरोप लगे और विपक्ष ने उस मुद्दे पर उनके जमकर घेरा जिसके बाद उनकी छबि बहुत ज्यादा खराब हो गई। अब उनकी टिकट उनके ऊपर नहीं उनके रिश्तेदार के ऊपर है। रिश्तेदार हरियाणा केबिनेट में मंत्री हैं इसलिए मूलचंद शर्मा प्रयास करेंगे कि किसी तरह भाजपा का टिकट मिल जाए। पार्षद दीपक चौधरी भी भाजपा का टिकट लाने का प्रयास करेंगे और अगर भाजपा ने टिकट न दिया तो नगर निगम चुनावों की तरह विधानसभा चुनावों में भी आजाद प्रत्याशी के रूप में मैदान में कूद जायेंगे। दीपक जिस वार्ड से पार्षद हैं उस वार्ड में 44 हजार से ज्यादा वोट हैं, दीपक ने यहाँ के मतदाताओं से राज्य लिए और बल्लबगढ़ के कई पार्षद उनके खास साथी हैं जिनसे सलाह मशविरा के बाद दीपक ने विधानसभा चुनाव में उतरने का फैसला लिया है। उन्होंने क्षेत्र के मतदाताओं के घर जाना शुरू कर दिया है और उनका लक्ष्य है कि हर घर तक पहुंच सकें। कार्यकर्ताओं की एक बड़ी टीम वो बहुत पहले बना चुके हैं।
बल्लबगढ़ की बात करें तो मूलचंद शर्मा के बाद भाजपा की टिकट का कोई बड़ा दावेदार नहीं दिखता। पूर्व विधायक राजेंद्र बीसला ने हाल में भाजपा ज्वाइन किया। वो भी टिकट मांग सकते हैं लेकिन उनमे खास दम नहीं दिख रहा है। आनंद शर्मा भी भाजपा की टिकट मांग सकते हैं लेकिन 70 के आस पास की उनकी उम्र उनकी राह में रोड़ा अटका सकती है। भाजपा के एक दो पार्षद भी टिकट मांग सकते हैं और उन्होंने लोकसभा चुनावों में जीत के बाद होर्डिंग वगैरा लगवा लिया है लेकिन वो अपने वार्ड तक सीमित हैं। बल्लबगढ़ में इस बार काटें की लड़ाई देखी जा सकती है क्यू कि लोकसभा चुनावों में बसपा, इनेलो, जजपा, आम आदमी पार्टी, लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी का बुरा हाल हुआ है। इन पार्टियों के नेता भी टिकट ला सकते हैं लेकिन लोकसभा चुनावों के नतीजों को देख ऐसा लग रहा है कि ऐसी पार्टियों के नेताओं की जमानत जब्त हो सकती है। जनता अब क्षेत्रीय पार्टियों ने बहुत दूर भाग रही है।
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