चंडीगढ़: हरियाणा कांग्रेस का हाल बेहाल है। कांग्रेसी नेताओं को ऐसी उम्मीद नहीं रही होगी कि लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पूरी तरह साफ़ हो जाएगी। कांग्रेस का आज जो हाल है उसके जिम्मेदार काफी हद तक कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर हैं। लगभग पांच साल पहले 14 फरवरी, 2014 को अशोक तंवर हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे । इसके तुरंत बाद लोकसभा के चुनाव हुए और चुनाव होते ही तंवर ने प्रदेश, जिला व ब्लाॅक कार्यकारिणी को भंग कर दिया था। इसके बाद 2014 के विधानसभा चुनाव भी पार्टी ने बिना ‘सेनापतियों’ यानी जिला व ब्लाॅक प्रधानों के लड़े थे। कई बार जिला व ब्लाॅक कार्यकारिणी की सूचियां तो तैयार हुईं, लेकिन गुटबाजी के चलते ये जारी नहीं हो सकी। अब भी कांग्रेस का वही हाल है। अशोक तंवर ने कुछ ऐसे नेताओं को प्रदेश स्तर का नेता बना रखा है जो गली अध्यक्ष बनने लायक भी नहीं हैं।
कांग्रेस के पास जिला अध्यक्ष तक नहीं हैं जबकि भाजपा के पास हर गली में एक नेता है। अशोक तंवर के कार्यकाल में कांग्रेस का बुरा हाल होता चला गया। पिछले लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को एक सीट मिली। अशोक तंवर ही उस समय कांग्रेस के अध्यक्ष थे। उसके बाद विधानसभा चुनाव हुए और कांग्रेस ही सरकार चली गई और कांग्रेस की सिर्फ 15 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। इस बार कांग्रेस लोकसभा में खाता भी नहीं खोल पाई। जींद उपचुनाव में भी कांग्रेस बुरी हार का सामना कर चुकी है। पांच साल में अशोक तंवर कोई कार्यकारिणी नहीं बना सके। अब चार महीने बाद विधानसभा चुनाव हैं। कांग्रेस का पास समय है। संभल गए तो ठीक वरना विधानसभा चुनावों में भी बुरा हाल हो सकता है।
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