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भारी बस्ते के बोझ से विलखते हैं मासूम छात्र, सो रही है सरकार और शिक्षा विभाग

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फरीदाबाद। 11 अप्रैल : स्कूल आते जाते मासूम बच्चों को आप देखेंगे टी उन पर बैग का भारी वजन दिखेगा जिस कारण असमय उनकी कमर की हड्डी टेढ़ी हो जाती है। गर्मी के समय बच्चे भारी बैग लेकर चलते हैं तो विलखते रहते हैं लेकिन शिक्षा विभाग और हरियाणा सरकार पहले की तरह अब भी कुम्भकर्णी नींद में है। 

मानव संसाधन मंत्रालय ने बच्चों के मासूम कंधों से बस्ते का बोझ कम करने के लिये मनो विज्ञानक डाक्टरों की सलाह से प्रत्येक कक्षा के बस्ते का वनज तय कर दिया है और इस संबध में सरकारी आदेश जिला उपायुक्त व जिला शिक्षा अधिकारी के पास कई महीने पहले आ चुके है लेकिन जिला प्रशासन इन आदेशों का पालन प्राईवेट स्कूल प्रबंधकों से नहीं करवा पा रहे है। जिसके चलते आज भी छोटे छोटे बच्चों के बस्ते का वजन 4-5 किलों तक हो रहा है। हरियाणा अभिभावक एकता मंच की ओर से कई बार जिला शिक्षा अधिकारी को इस बारे में जानकारी दी गई है लेकिन वे स्कूल प्रबंधकों के दबाव में रहकर इस सरकारी आदेश का पालन करने में पूरी तरह से समर्थ है।

मंच के जिला अध्यक्ष एडवोकेट शिवकुमार जोशी व जिला सचिव डा मनोज शर्मा ने कहा है कि स्कूली बच्चों के बस्ते का बोझ काफी समय से चर्चा का विषय रहा है। नर्सरी से लेकर 12वीं क्लास तक के बच्चे के बैग का काफी वजन होता है। इससे उनको स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। अंतरराष्ट्रीय नियम के मुताबिक, बच्चों के कांधे पर उनके कुल वजन से 10 फीसदी ज्यादा वजन नहीं होना चाहिए। इसको यूं समझें जैसे अगर बच्चे का वजन 20 किलोग्राम है। इसका 10 फीसदी हुआ 2 किलोग्राम। यानी 20 किलोग्राम वजन वाले बच्चे के बस्ते का वजन 2 किलोग्राम से ज्यादा नहीं होना चाहिए। लेकिन हकीकत यह है कि 8वीं क्लास तक के बच्चों को 5 किलोग्राम से ज्यादा वजन ढोना पड़ता है। 

मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने इस विषय पर सीबीएसई के निर्देशों के बारे मे जानकारी देते हुये बताया है कि प्राइमरी क्लास के लिए जरूरत से ज्यादा छात्रों को पुस्तक लेने को नहीं कहा जाए और पाठ्यपुस्तकों की संख्या सीमित होनी चाहिए। नैशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च ऐंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) ने जो सीमा तय कर रखी है, उससे ज्यादा इसकी संख्या न हो। पहली और दूसरी क्लास के छात्रों के लिए स्कूल बैग न हो और उनको अपना स्कूल बैग स्कूल में छोड़ने की अनुमति हो। पहली और दूसरी क्लास के बच्चों को होमवर्क नहीं दिया जाए। तीसरी और चैथी क्लास के बच्चों के लिए होमवर्क की जगह कुछ और विकल्प दिया जाए। स्कूल बैग के अनावश्यक बोझ से छुटकारे के लिए विवेकपूर्ण टाइम टेबल तैयार किया जाए। कुछ महीने पहले मानव संसाधन मंत्रालय ने इस महत्वपूर्ण विषय पर दिशार्निदेश जारी किये है जिनको हरियाणा के शिक्षा विभाग ने सभी जिलों के उपायुक्त व जिला शिक्षाअधिकारी को भेजकर इनका सख्ती से पालन कराने के आदेश जारी किये है। 

जिला प्रशासन इनका पालन नहीं करा रहा है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) की ओर से जारी किये गये इस सर्कुलर में पहली से 10वीं क्लास तक के बच्चों के बस्ते का वजन तय किया गया है। जो इस प्रकार है - पहली और दूसरी के बच्चों के लिए बस्ते का वजन 1.5 किग्रा, तीसरी से पांचवीं तक के बच्चों के लिए 2 से 3 किग्रा, छठी और 7वीं के बच्चों के लिए 4 किग्रा, आठवीं और नौवीं के बच्चों के लिए 4.5 किग्रा, 10वीं के बच्चों के लिए 5 किग्रा। इसी प्रकार होमवर्क से संबंधित नियम का भी उल्लेख है। इसके मुताबिक, पहली और दूसरी क्लास के बच्चों को होमवर्क नहीं दिया जाए। स्कूलों को पहली और दूसरी क्लास के बच्चों को भाषा और गणित, तीसरी से पांचवीं क्लास तक के बच्चों को भाषा के विषय, ईवीएस और गणित के अलावा कोई और विषय नहीं पढ़ाए जाएं। बच्चों को अतिरिक्त पुस्तक, अतिरिक्त सामग्री आदि नहीं लाने को कहा जाए। मंच की ओर से अतिरिक्त मुख्य सचिव शिक्षा पी के दास व महानिदेशक स्कूल शिक्षा पंचकुला को पत्र लिखकर जिला शिक्षा अधिकारी की कार्य शैली की शिकायत करके उचित कार्यवाही करने की मांग की है।
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