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जमकर लूट रहे हैं निजी स्कूल वाले, दोगुने दाम पर बेंच रहे हैं किताबें, अभिभावक मजबूर

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फरीदाबाद, 3 मार्च। बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ाना अभिभावकों के लिए भारी पड़ रहा है। स्कूल संचालक व किताब विक्रेताओं के बीच कॉन्ट्रेक्ट होने से किताब विक्रेताओं ने कॉपी-किताबों का मूल्य इतना बढ़ा दिया है। बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ाना अभिभावकों के लिए भारी पड़ रहा है। स्कूल संचालक व किताब विक्रेताओं के बीच कॉन्ट्रेक्ट होने से किताब विक्रेताओं ने कॉपी-किताबों का मूल्य इतना बढ़ा दिया है कि अभिभावक खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। यह स्थिति तो उन अभिभावकों की है जो सम्पन्न परिवार से हैं। 

सामान्य परिवार के अभिभावकों का बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ाना उनके बूते की बात नहीं है। निजी स्कूलों की इस मनमानी को लेकर अभिभावक एकता मंच की टीम ने शहर में किताब बिक्री करने वाली कई दुकानों पर जाकर पता लगाया की कॉपी-किताबों विक्रेता मनमानी शर्तों पर और महंगे दामों पर कॉपी-किताबों के सेट दें रहे है। सेन्ट जोसफ, सेन्ट जोन्स््, सेन्ट अेनधनी, सेन्ट कार्मल स्कूलों की कॉपी-किताबों को सैट एनआईटी-5 मुनजाल बुक डिपो से ही दिलवाई जा रही है। इसकी एक शाखा सैक्टर-7 हुडा मार्केट में भी खुली हुई है, जहां पर रेट लिस्ट लगी हुई है जिसके अनुसार नर्सरी, केजी के कॉपी-किताबों का सैट 2500, 1 से 2 क्लास का 3500, 3 से 5 क्लास का 4500, 6 से 8 क्लास का 5500 और 9 से 12वीं क्लास का 6500 रू का दिया जा रहा है, अभिभावक विरोध करते है तो वह कॉपी-किताबों देने से मना कर देता है। यही हालत एमवीएन, डीपीएस, एपीजे, मार्डन, मानव रचना, मार्डन डीपीएस, गैन्ड कालम्बस आदि स्कूलों में भी किया जा रहा है। इन स्कूलों के संचालकों ने भी अपने स्कूल के अन्य खुली दुकानों व अपनी बताई गई दुकानों से ही अभिभावकों मंहगें दामों पर कॉपी-किताबों के सैट दिलवाए जा रहे है।

मंच की टीम ने पाया कि अभिभावक बच्चों को पढ़ाने के लिए किताबों के दोगुने दाम देने को मजबूर हैं, वहीं कुछ अभिभावकों का आरोप है कि खुद स्कूल संचालक किताब विक्रेताओं से मिलकर अभिभावकों को लुट रहे हैं। निजी स्कूलों में हर स्तर पर अभिभावकों को लूटा जा रहा है।  स्कूलों की मनमानी फीस, मनमानी दुकानों से जूते-मौजे व यूनिफार्म खरीदने को विवश किया जा रहा है।  दूसरी ओर हर साल किताबें बदली जा रही है। ऐसे में सवाल यह है कि निजी स्कूल वाले अब तक एक कोर्स निर्धारित क्यों नहीं कर पाए। हर साल किताबें बदलने को लेकर सूत्रों का कहना है कि किताब विक्रेताओं द्वारा स्कूल संचालकों को मोटी रकम दी जाती है। जिसे वे अभिभावकों से वसूलते हैं। कई अभिभावकों का कहना है किएक निजी स्कूल  में उनके कई बच्चे  4,5 व कक्षा 6 में पड़ते हैं। ऐसे में यदि हर साल किताबें बदली नहीं जाएं तो सिर्फ एक बच्चे के लिए किताब खरीदनी पड़े। चिह्नित दुकानों पर ही मिलती हैं किताबें। नया सत्र शुरू होने के साथ ही अभिभावक कॉपी-किताबें खरीदने किताबों की दुकानों पर पहुंच रहे हैं।  किताब विक्रेताओं से कॉपी-किताबों के दाम सुनकर अभिभावकों के होश उड़ रहे हैं।
मंच ने जिला शिक्षा अधिकारी से स्कूलों की इस मनमानी पर रोक लगाने की मांग की है, मंच ने अभिभावकां से भी कहा है कि वे इस मनमानी का विरोध करे और वे मंच के जिला कार्यालय लार्यस्् चैम्बर 56, जिला कोर्ट फरीदाबाद में स्कूलों की इस मनमानी की शिकायत दर्ज कराए।
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