फरीदाबाद: हरियाली से तापमान नियंत्रित रहता है। पेड़ पौधों की अधिकता जहां हैं वहां तापमान कम रहता है।हरे भरे पेड़ हमें ऑक्सीजन देते हैं। प्रदूषण कम करते है। लेकिन फरीदाबाद में इनकी अनदेखी की जा रही है। दिखावे के लिए पौधरोपण अभियान चलाया जाता है लेकिन पौधारोपण करने के बाद उस पौंधे की देखभाल नहीं की जाती है जिस कारण वो पौंधे पेड़ बनी बन पा रहे हैं और फरीदाबाद जानलेवा प्रदूषण और भयंकर गर्मी झेल रहा है। ये कहना है बार एसोशिएशन के पूर्व अध्यक्ष एवं न्यायिक सुधार संघर्ष समिति के अध्यक्ष एडवोकेट एल एन पाराशर का जिन्होंने कहा कि फरीदाबाद की ग्रीन बेल्ट पर अवैध कब्ज़ा एवं अवैध अतिक्रमण और अरावली का चीरहरण के काऱण फरीदाबाद की जनता प्रदूषण और गर्मी झेल रही है।
पाराशर ने कहा कि जहां पेड़ पौधे होंगे वहां स्वाभाविक रूप से नमी बनी रहेगी। यही कारण है कि पहले लोग सड़क किनारे भारी मात्रा में पेड़ लगाते थे। अब पेड़ पौधे काटे जा रहे हैं। जो आम जीवन के लिए खतरनाक है। पाराशर ने कहा कि शहर के कई पार्कों में विकास के नाम पर अधिकारियों ने कई कई करोड़ डकार लिया। उन्होंने कहा कि डबुआ कालोनी के लेजर वैली पार्क में बिना एक पैसे खर्च किये नगर निगम अधिकारियों ने तीन करोड़ डकार गए तो बल्लबगढ़ के पार्क में भी विकास के नाम पर करोड़ों डकारे गए हैं। पाराशर ने कहा कि शहर में सैकड़ों जगहों पर ग्रीन बेल्ट पर अवैध कब्ज़ा और अवैध निर्माण किया गया है। उन्होंने कहा कि आइना दिखाने पर भी अधिकारी आँख नहीं खोलते। उन्होंने कहा कि कुछ भ्रष्ट अधिकारियों के सर पर नेताओं का हाँथ है और इन सबने मिलकर अरावली को उजाड़ दिया। वहाँ के पहाड़ बेंच खाये, पेड़ कटवा दिए।
उन्होंने कहा कि लगभग 15 साल पहले वाला फरीदाबाद अब वैसा नहीं रहा। अब तो इस जिले को कोई खिताब मिलता है तो वो इस जिले की तौहीन वाला होता है। कभी सबसे प्रदूषित शहर का खिताब मिलता है तो कभी कुछ गलत कामों की चर्चाओं से इस जिले के लोग सुर्ख़ियों में आते हैं। पराशर ने कहा कि जिस तरह फरीदाबाद में अप्रैल में गर्मी बढ़ रही है और पारा 43 डिग्री पार पहुँच गया है उसे देख लगता है कि मई-जून में फरीदाबाद गर्मी का भी रिकार्ड बना सकता है।
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