फरीदाबाद: सुप्रीम कोर्ट एक तरफ जहाँ अरावली के अवैध निर्माण ढहाने का आदेश दे रहा है वहीं दूसरी तरफ अरावली पर अवैध निर्माण धड़ल्ले से जारी हैं। बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान एवं न्यायिक सुधार संघर्ष समिति के अध्यक्ष एडवोकेट एल एन पाराशर ने बताया कि सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कांत एन्कलेव के सात निर्माण मालिकों की याचिका को खारिज कर दिया। इन सात निर्माणों को कभी भी तोड़ा जा सकता है। वहीं दूसरी तरह फरीदाबाद-सूरजकुंड रोड पर कई जगहों पर अब भी निर्माण जारी हैं। पाराशर ने बताया कि मंगलवार को मैंने अरावली का दौरा किया और कई जगहों पर अवैध निर्माण और अवैध खनन होते हुए देखा। पाराशर ने बताया कि अरावली का सीना चीर जहां होटल डिलाइट बन रहा है उसके पास में ही एक खाली जमीन पर एक जगह और निर्माण हो रहा है। पाराशर ने कहा कि अरावली के माफिया और पत्थरचोर इन दिनों बड़ा खेल -खेल रहे हैं। उन्होंने बताया कि कांत एन्क्लेव मामले में अगली सुनवाई 22 अप्रैल को है और कांत बिल्डर्स के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट कार्रवाई का आदेश दे सकता है इसलिए उसे उपस्थित रहने का आदेश जारी किया है।
पाराशर ने कहा कि कांत एन्क्लेव के निर्माणों पर हो रही कार्यवाही को देखकर भी अरावली के माफियाओ पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। उनका अरावली लूटो अभियान जारी है। उन्होंने कहा कि एक दिन पहले मुझे सूचना मिली कि अनंगपुर के महिपाल ग्रीन वैली में अवैध खनन चल रहा है। उसकी तस्वीरें कई विभाग के अधिकारियों को भेजी गईं लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गई और वहां से लाखों के पत्थर रोज निकालकर बेंचे जा रहे हैं। पराशर ने कहा कि अरावली पर एक दो नहीं 50 से ज्यादा जगहों पर निर्माण हो रहा है। कोई फ़ार्म हाउस बना रहा है तो कोई दीवार खड़ी कर रहा है। कई जगहों पर खनन हो रहा है तो कई जगहों पर पेड़ काटे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि फरीदाबाद में प्रशासन नाम की कोई चीज ही नहीं है।
उन्होंने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट न होता तो फरीदाबाद के माफिया अरावली को पूरी तरह ख़त्म कर देते। उन्होंने कहा कि इन माफियाओं पर लगाम लगाने के लिए ही मैं सुप्रीम कोर्ट गया और कान्त एन्क्लेव के मामले में पार्टी बनने की याचिका दायर की। उन्होंने कहा कि इन माफियाओ पर भी उसी तरह की कार्यवाही की मांग करूंगा जिस तरह कान्त एन्क्लेव के माफियाओं पर की जा रही है। उन्होंने कहा कि ये माफिया एनसीआर की जनता के सबसे बड़े दुश्मन हैं और फरीदाबाद, गुरुग्राम, दिल्ली के कई लाख लोगों को प्रदूषण से बेमौत मरवा रहे हैं।
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