07 अप्रैल। हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ ने कोर्ट की आड़ में प्रदेश सरकार पर प्रदेश के करीब दस हजार स्कूलों को बंद कर उनमें पढऩे वाले बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने व स्कूलों में कार्यरत करीब डेढ़ लाख अध्यापकों व अन्य स्टाफ सदस्यों को बेरोजगार करने का आरोप लगाया है। संघ के प्रदेशाध्यक्ष सत्यवान कुंडू, उपप्रधान संजय धत्तरवाल, संरक्षक तेलूराम रामायणवाला, महासचिव अजीत यादव व प्रांतीय सलाहकार रविंद्र नांदल ने कहा कि सरकार का काम शिक्षा का अधिक से अधिक प्रचार प्रसार करके हर नागरिक को शिक्षित करना तथा बेरोजगारों को रोजगार मुहैया कराना होता है, लेकिन भाजपा सरकार इसके उलट प्रदेश के करीब दस हजार स्कूलों को बंद कर उनके पढऩे वाले 30 लाख बच्चों के भविष्य को ही कोर्ट की आड़ लेकर खराब करना चाहती है और इनमें कार्यरत अध्यापकों व स्टाफ सदस्यों को बेरोजगार करके उनकी रोजीरोटी छिनना चाहती है। जिससे स्कूल संचालकों में सरकार के प्रति भारी रोष है। अगर सरकार ने अपने घोषणा पत्र के अनुसार नियमों का सरलीकरण करके इन स्कूलों को मान्यता दे दे तो प्रदेश के दस हजार स्कूलों को बड़ी राहत मिलेगी और सरकार का वादा भी पूरा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि स्कूलों को बनाने या खोलने का मतलब है कि एक नई जेल को बनने से रोकना। अब सरकार को देखना है कि सरकार को स्कूल बंद करके नई जेलें बनाना है या स्कूल खुले रखकर नई जेल बनने से रोकना है।
संघ के अध्यक्ष सत्यवान कुंडू ने कहा कि सरकार ने नियम 134ए के तहत दस प्रतिशत गरीब बच्चों को पढ़ाने की एवज में ग्रामीण क्षेत्र में 300 से 500 रूपए व शहरी क्षेत्र में 500 से 700 रूपए देने व हर वर्ष पैसे बढ़ाने का वादा किया था, लेकिन चार साल बीत जाने के बाद भी अभी तक कोई पैसा निजी स्कूलों को नहीं दिया गया है। ऐसे में निजी स्कूल कब तक फ्री में बच्चों को पढ़ाते रहेंगे। इसके विपरीत पिछली सरकार में निजी स्कूलों की बसों पर कोई टैक्स नहीं था, लेकिन भाजपा सरकार ने तीन हजार से लेकर 11 हजार ररूपए तक नया टैक्टस लगा दिया है, जिससे निजी स्कूल इतने घाटे में चल रहे हैं कि टीचर्स की सैलरी व बच्चों के लिए अन्य सुविधाएं जुटाना कठिन हो गया है।
संघ के अध्यक्ष सत्यवान कुंडू ने कहा कि शिक्षा विभाग नियम 134ए के तहत खाली व भरी हुई सीटों की जानकारी प्रफोमा भरवाकर स्कूलों से ले रहा है तो स्कूल स्तर पर भरी हुई सीटों के लिए कोई पैसा नहीं दिया जाता जोकि वास्तव में गरीब बच्चे होते हैं, लेकिन शिक्षा विभाग जो लिस्ट भेजता है, उनमें से कुछ बच्चे ऐसे होते हैं, जिनके अभिभावकों ने दो लाख से कम इनकम का फर्जी सर्टिफिकेट बनाया हुआ होता है। शिक्षा विभाग 134ए के बच्चों की जो परीक्षा लेता है, उनमें भी बहुत धांधली होती है, इसलिए प्राइवेट स्कूल संचालकों ने फैसला किया है कि इस बार सरकारी अध्यापकों के साथ निजी स्कूलों के अध्यापक भी ड्यूटी देंगे, ताकि धांधली को रोका जा सके। उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों को जल्द से जल्द बकाया पैसा दिया जाए, अन्यथा ऐसे बच्चों से स्कूल की पूरी फीस ली जाएगी व जो बच्चा वास्तव में गरीब है, उसको निशुल्क पढ़ाएंगे। उन्होंने कहा कि अगर सरकार अब भी निजी स्कूलों की मांगों पर अनदेखी करेगी तो हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ जल्द ही प्रदेश स्तरीय बैठक बुलाकर सरकार के खिलाफ आर पार की लड़ाई लडऩे में देर नहीं लगाएंगे। क्योंकि यह केवल लाखों पढ़े लिखे लोगों की रोजी रोटी का सवाल ही नहीं, बल्कि प्रदेश के 30 लाख बच्चों के भविष्य का भी सवाल है।
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