13 अप्रैल।प्राइवेट स्कूलों में नियम 134ए के तहत शिक्षा ग्रहण कर रहे बच्चों की फीस रिफंड करने के मामले में शिक्षा विभाग के अधिकारी व कर्मचारी ही रोड़ा बने हुए हैं। प्राइवेट स्कूलों द्वारा फीस रिफंड का आवेदन करने के बावजूद यह कार्रवाई बीच रास्ते में ही रूकी हुई है। हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ ने ऐसे अधिकारियों व कर्मचारियों पर सरकार व स्कूलों के बीच के संबंध को खराब करने का आरोप लगाया है।
संघ के प्रदेशाध्यक्ष सत्यवान कुंडू, संरक्षक तेलूराम रामायण वाला, राजकुमार पाली, रामअवतार ने कहा कि एक तरफ तो शिक्षा विभाग के अधिकारी यह बयान दे रहे हैं कि निजी स्कूल नियम 134ए के तहत फीस रिफंड के लिए बिल नहीं दे रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ स्कूलों द्वारा बीईओ कार्यालय पर जमा कराए गए बिलों पर अधिकारी व ढुल मुल व टरकाऊ रवैया अपनाए हुए हैं। जिसके चलते करोड़ों रूपए के बिल स्कूलों से भेजने के बाद भी कार्यालयों में ही अटके पड़े हैं और उन्हें स्वीकृति के लिए मुख्यालय तक नहीं भेजा गया। उन्होंने खुलासा किया कि अकेले बीईओ हांसी कार्यालय में कक्षा एक से आठवीं तक के बच्चों का 47 लाख आठ हजार 800 रूपए का बिल भेजा जा चुका है, जबकि कक्षा नौंवी से 12वीं तक का बिल भी एक दो दिन में भेज दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि सरकार न तो हर वर्ष बिल मांगती है और न ही आज तक कोई पैसा दिया गया है। इससे साफ जाहिर है कि कुछ कर्मचारी व अधिकारी स्कूलों व सरकार के संबंध को खराब करना चाहते हैं और समाचार पत्रों में भी सरकार व प्राइवेट स्कूलों को बदनाम करने की नियत से ही ऐसे बयान जारी किए जा रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की कि ऐसे कर्मचारियों व अधिकारियों की पहचान कर उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए ताकि सरकार व प्राइवेट स्कूलों की इज्जत बनी रहे। इसके साथ ही उन्होंने वर्ष 2014 चुनाव से पूर्व किए गए वादे के अनुरूप नियमों में सरलीकरण कर प्राइवेट स्कूलों को मान्यता देने, स्कूल बसों पर लगाया गया टैक्स व बोर्ड द्वारा वसूजे जा रहे दो हजार रूपए वार्षिक निरंतरता फीस स्कूलों को वापस देने की मांग को भी प्रमुखता के साथ उठाया।
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