चंडीगढ़: राकेश शर्मा ( हरियाणा अब तक ) लगभग पांच महीने पहले हरियाणा में भाजपा का ग्राफ लगातार गिरता जा रहा था और उस समय विधानसभा चुनाव होते तो खट्टर दहाई का आंकड़ा भी शायद पार कर पाते लेकिन वक्त सदा एक सा नहीं रहता। गिरने वाले अगर हिम्मत न हारे तो ऊंचाई पर भी वही चढ़ते हैं। वर्तमान में अगर हरियाणा विधानसभा चुनाव हों तो प्रदेश में भाजपा की सरकार बन सकती है जिसके कई कारण हम पहले बता चुके हैं कि पलवल के कांग्रेसी विधायक करण दलाल की इनेलो पर ऐसी नजर लगी कि जूता काण्ड के बाद इनेलो पूरी तरह से टूट गई। जजपा ने इनेलो से जन्म लिया और अब इस परिवार के दोनों पार्टियों के नेता भाजपा कांग्रेस से नहीं आपस में ज्यादा लड़ रहे हैं।
यही कारण कांग्रेस की भी है। प्रदेश की सभी 10 लोकसभा सीटें जीतने का दावा करने वाली कांग्रेस को 10 लोकसभा उम्मीदवार नहीं मिल रहे हैं। जजपा और आम आदमी पार्टी से गठबंधन का प्रयास किया जा रहा है। सिर्फ 6 सीटों पर ही कांग्रेस ने अब तक अपने उम्मीदवार उतारे हैं। अब सूत्रों द्वारा जानकारी मिल रही है कि नाराज कुरुक्षेत्र के पूर्व सांसद नवीन जिंदल को कांग्रेस नहीं मना पाई और कुरुक्षेत्र से अब पूर्व सांसद कैलाश सोनी का नाम आगे चल रहा है। सूत्रों द्वारा ही जानकारी मिल रही है कि सोनीपत से भूपिंदर सिंह हूडा, हिसार कुलदीप बिश्नोई / भव्य बिश्नोई, करनाल कुलदीप शर्मा का नाम अब आगे चल रहा है।
हुड्डा कई बार चुनाव लड़ने से मना कर चुके हैं लेकिन कांग्रेस उन्हें चुनाव जबरन लड़वाना चाह रही है। क्या कांग्रेस के पास कुछ सीटों पर मजबूत उम्मीदवार नहीं हैं या कुछ नेता जानबूझकर चुनाव से भाग रहे हैं। कांग्रेस लाख दावे करे कि कांग्रेस में अब सब कुछ ठीक चल रहा है लेकिन सच ये है कि सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। कांग्रेस की कमजोरी उसी दिन सार्वजनिक हुई थी जब जींद में कांग्रेस को मजबूत उम्मीदवार नहीं मिला और राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला को वहां से उतारा गया जो कैथल के विधायक हैं फिर भी उन्हें मैदान में उतारा गया और वो भी हार गए और तीसरे नंबर पर रहे।
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