10 मार्च 2019 : स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने कहा कि उनका दृढ मत है कि हार क डरे से हरियाणा भाजपा खट्टर सरकार ने विधानसभा भंग न करके लोकसभा चुनाव के साथ विधान सभा चुनाव करवाने की अपनी योजना को अंतिम समय बदलकर लोकसभा के साथ चुनाव न करवाने का निर्णय लिया है। विद्रोही नेे कहा कि आंतरिक रूप से भाजपा लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव करवाने को तैयार बैठी थी। किन्तु उसे फीड बैक मिला कि साथ चुनाव करवाने में भाजपा को लोकसभा व विधानसभा दोनो में नुकसान होगा। इस समय भाजपा अपनी पार्टी के विभिन्न नेताओं को टिकट लालच देकर लोकसभा चुनाव में पार्टी एकता को कायम रखने की चिंता में है। वहीं महत्वकांक्षी विपक्षी दलों के नेताओं को विधानसभा टिकट का लालच देकर भाजपा में शामिल करवाने की योजना पर भी काम कर रही है।
विद्रोही ने कहा कि भाजपा को भान हो गया है कि यदि विधानसभा व लोकसभा चुनाव एक साथ हुए तो टिकट से वंचित रहने वाले भाजपा नेता भाजपा में टिकट की चाह रखने वाले विपक्षी दलों के अवसरवादी नेता चुनावों में भाजपा के साथ खड़े होने की बजाय खुद चुनाव मैदान में उतरकर भाजपा की चुनावी योजना को तार-तार कर देंगे। विद्रोही ने आरोप लगाया कि भाजपा ने अपनी इसी में भलाई समझी कि विधानसभा टिकट के इच्छुक नेताओं को टिकट लालच में बरगालकर लोकसभा चुनाव में उनसे काम लेकर भाजपा की चुनावी वैतरणी पार की जाये। भाजपा को यह एहसास हो चुका है कि जो उसने सत्ता दुरूपयोग से मीडिया में मोदी-भाजपा के जीतने की हवा बना रखी है, वह जमीनी धरातल पर नही है। विद्रोही ने कहा कि लोकसभा चुनाव में बगावत न हो, इस डर के कारण ही भाजपा ने हरियाणा में लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव के चुनाव करवाने की अपनी योजना से किनारा किया है जो खुद प्रमाण है कि स्वयं भाजपा को कथित मोदी लहर पर विश्वास नही है।
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