इस मौके पर सिविल जज देवाशुं शर्मा बतौर मुख्यअतिथि पहुंचे। वहीं विशिष्ट अतिथि के रुप में राजेश टांक, समाजसेवी संजीव छाबड़ा, जेसीआई प्रधान दीपक चोपड़ा, वात्सल्य वाटिका के संस्थापक स्वामी हरिओम परिव्राजक, शंकुतला शर्मा उपस्थित रहे। अध्यक्षता मल्टी आर्ट कल्चरल सेंटर के क्षेत्रीय निदेशक नागेंद्र कुमार शर्मा ने की। मंच का संचालन विकास शर्मा तथा नरेश सागवाल द्वारा किया गया। कार्यक्रम से पूर्व शहीदों को याद करते हुए सरदार भगत सिंह, राजगुरु तथा सुखदेव की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम का आगाज किया गया। कवि सम्मेलन में नैनिताल से गौरी मिश्रा, करनाल से कांता वर्मा, अंजू शर्मा, शब्द दीप्ति, जयदीप तुली, कुरुक्षेत्र से विरेंद्र राठौर, डा. बलवान सिंह, प्रेमपाल सागर, अन्नपूर्णा शर्मा, पानीपत से गुलाब पांचाल तथा नरेश सागवाल ने अपनी रचनाओं को पढ़ा।
कार्यक्रम के दौरान गौरी मिश्रा ने अपना काव्य पाठ करते हुए कहा ना फूलों ना कलियों ना डाली में आती है जो खुशबू मां के हाथो से सजी थाली में आती है, जहां दुश्वार हैं राहें वहीं आराम मिलता है, यु लगता है मोहब्बत का कोई पैगाम मिलता है, मैं अपना घर समझ करके चली आई हूं तुम्हारे दिल के दरवाजे पर मेरा नाम मिलता है। एक के बाद एक बेहतरीन रचना के माध्यम से गौरी ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इतना ही नहीं शहीदों को नमन करते हुए गौरी ने कारगिल में अपने काव्य पाठ के अनुभव भी सांझा किए। कारगिल से सम्बंधित अनुभव सांझा करते हुए गौरी मिश्रा की आंखो से आसूं छलक गए। माहौल इतना भावपूर्ण हो गया था कि सभागार में बैठे सभी श्रोताओं की आंखे नम हो गई, वहीं सभागार में सन्नाटा पसर गया। श्रोताओं में बैठे पूर्व सैनिकों ने भारत माता के जयघोष कर सभागार को गुंजायमान किया। गौरी मिश्रा ने पाक्स्तिान की नापाक हरकतों को ललकारते हुए कहा कि तेरी बेशर्मियों और जुल्मों की कहानी है, ये वीरों की नहीं लगती कायर की निशानी हैं, कभी भी सामने नहीं आकर लड़ना आया, ए पाकिस्तान तेरी नाव अब डूब जानी है। हर इक मजहब को पूजा है सदा अपना धर्म कहकर, लिए हथियार हाथों में ये इंसां का कर्म कहकर, करें आवाज में उसकी हम आवाज अपनी शामिल, वतन पे हो गया रुखसत जो वंदे मातरम कहकर, सरहदों की नजर दुश्मन-ए-मुल्क पर पहली गोली चलाई मजा आ गया जैसी बेहतरीन रचनाओं से गौरी मिश्रा ने सभी में जोश भरने का कार्य किया। वहंी कांता वर्मा ने जिस पर मां का वंदन ना हो वो जीभ काटकर रख देना, रावलपिंडी की जो भाषा बोले वो शीश काटकर रख देना के माध्यम से शहीदों को याद किया। वहीं प्रेम पाल सागर ने वैसे तो बड़ा मुश्किल है किसी दिल की दिलभर कहानी लिखना, जैसे बहते हुए पानी पर पानी लिखना, जिनके पास देशभक्ति का सरमाया नहीं है, वो आदमी मुझे रास आया नहीं है, मैं पूजता हूं वतन के उन शहीदों को जिन्होंने सर कटाया है सर झुकाया नहीं है लोगों की नजर की।
वहीं कवि सम्मेलन के दौरान अन्य कविगणों ने भी अपनी रचनाओं को सुनाकर शहीदों को याद किया। कार्यक्रम के अंत में राजेश टांक ने सभी को सम्बोंधित करते हुए तथा महान शहीदों की शहादत को नमन करते हुए कहा कि शहीदी दिवस उन शहीदों की याद में मनाया जाता है जो भारत माता की आजादी, कल्याण और प्रगति के लिए लड़े और अपने प्राणो की आहूति दे दी। प्रत्येक नागरिक को उनके जीवन से सीख लेकर भारत मां की रक्षा के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए। लगभग चार घण्टे तक चले कवि सम्मेलन के उपरांत मुख्यअतिथि द्वारा सभी कवियों को सम्मानित किया गया तथा सनातन विद्यापीठ टस्ट के अध्यक्ष सलिंद्र पराशर ने सभी सहयोगी संस्थाओं सहित जेसीआई क्लब का धन्यवाद किया तथा सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किए। इस मौके पर दीपक उमरी, रश्मि कटारिया, शिव कुमार किरमिच, ओ पी गुल्यान, सुबे सिंह सुजान, अजमेर सिंह, गणेश खोंसला, सुनील बाला, सुनीता सांगवाल, सुरजीत कौर, गुरविंद्र कौर राय, संगीता टांक सहित भारी संख्या में कलाप्रेमी उपस्थित रहे।
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