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निजी स्कूल संचालकों को कोर्ट का झटका, प्राइवेट प्रकाशकों की मोटी व मंहगी किताबों को न खरीदें

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फरीदाबाद, 30 मार्च। कमीशन खाने के चक्कर में मासूम छात्रों के कंधे पर भारी बस्ते का बोझ डाल रहे प्राइवेट स्कूलों व निजी प्रकाशकों को दिल्ली हाईकोर्ट ने जोर का झटका दिया है। दिल्ली हाई कोर्ट ने प्राइवेट पब्लिशर्स एसोसिएशन व निजी स्कूलों की याचिका को खारिज करते हुए स्कूलों में एनसीईआरटी व सीबीएसई द्वारा निर्धारित किताबें ही लगाने का आदेश दिया है।

न्यायालय ने टिप्पणी की है कि जब पेपर इन्हीं किताबों से आते हैं तो फिर स्कूलों में प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें क्यों लगाई जा रही है। हरियाणा अभिभावक एकता मंच ने इस आदेश का स्वागत करते हुए अभिभावकों से कहा है कि वे हाईकोर्ट के इस आदेश को समझें और स्कूल प्रबंधकों द्वारा जबरदस्ती दी जा रही प्राइवेट प्रकाशकों की मोटी व मंहगी किताबों को न खरीदें।

स्कूल प्रबंधक अगर परेशान करते हैं तो वे अभिभावक एकता मंच से संपर्क करें। मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने बताया कि छात्रों के मासूम कंधों से भारी बस्ते का बोझ कम करने के उद्देश्य से दिल्ली सरकार ने 29 नवंबर 2018 को एक आदेश निकाला था कि सभी स्कूल प्रबंधक अपने स्कूल में एनसीईआरटी व सीबीएसई द्वारा निर्धारित किताबों को ही लगाने। इस आदेश के खिलाफ प्राइवेट पब्लिशर्स एसोसिएशन ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर करके इस आदेश को रद्द करने की मांग की। 27 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज करते हुए उक्त आदेश दिए हैं।

मंच ने कहा है कि कुछ महीने पहले मानव संसाधन मंत्रालय व हरियाणा सरकार ने एक आदेश निकालकर बस्तों का वजन तय कर दिया था लेकिन स्कूल प्रबंधक पर इस आदेश का कोई असर नहीं है और वे मनमर्जी कर रहे हैं। इसके अलावा यह भी आदेश दिए गए थे कि नर्सरी से कक्षा दो तक के बच्चों को कोई भी होमवर्क न दिया जाए और उनके बस्तें भी स्कूल में रखवाए जाए। स्कूल प्रबंधक इसका भी उल्लंघन कर रहे हैं मंच ने अभिभावकों से कहा है कि वे जागरूक बने और मनमानी कर रहे स्कूल प्रबंधकों के खिलाफ आवाज उठाएं मंच पूरी तरह से उनके साथ हैं।
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