नई दिल्ली 29 मई: सत्ता मिलती है तो नेता जनता का दर्द भूल जाते हैं और फिर यही जनता नेताओं को कुर्सी से उठाकर ऐसे पटकती है कि नेता फिर अपना दर्द किसी को बताने लायक नहीं रहते हैं कुछ तो अगली बार कुर्सी पाने की लालच में तड़प तड़प कर मर जाते हैं कुछ का दिल का दौरा असमय पड़ जाता है | देश के कई राज्यों की जनता लुटेरे प्राइवेट स्कूल वालों की लूट के खिलाफ दो तीन महीने से सड़कों पर चिल्ला रही है ये लेकिन इन नेताओं को जनता का दर्द नहीं दिख रहा है | शिक्षा माफिया आम जनता को दोनों हांथों से लूट रहे हैं और सरकारें तमाशा देख रही हैं | दिल्ली में आज लुटेरे प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन चल रहा है जहाँ फरीदाबाद, गाजियाबाद, गुरुग्राम, नोयडा के लोग प्रदर्शन कर रहे हैं |
शिक्षा माफिया हर साल फीस बढ़ाते देते हैं, काँपी किताब जूते जुर्राब बेंच जमकर लूट खसोट करते हैं और जनता आवाज उठाती है तो सरकारें कान में रुई ठोस लेती हैं | उत्तर प्रदेश और हरियाणा की सरकारें इस मुद्दे पर खामोश हैं | हरियाणा की बात करें तो यहाँ खट्टर सरकार के बुरे दिन अगर जारी हैं तो ऐसे कही कई कारण हैं | सरकार आम जनता की समस्या नहीं समझ पा रही है खास लोगों का ही साथ दे रही है और लुटेरे प्राइवेट स्कूल वाले सरकार के ख़ास हैं जिस कारण इस मुद्दे पर खट्टर खामोश हो गए हैं अब जनता की बारी आने वाली है खट्टर को भी खामोश कर सकती है जनता डेढ़ साल बाद भाजपा जनता के बीच जाएगी और फिर जनता क्या जबाब देती है वक्त बताएगा | वक्त है सरकार के पास लेकिन वक्त का फायदा नहीं उठाएंगे तो राम ही मालिक है |
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