Faridabad 08 February 2017: आठ जनवरी को हुए नगर निगम फरीदाबाद के चुनावों के बाद आज एक महीने हो गए हैं जिस तरह नगर निगम चुनाव लटके थे उसी तरह चुनावों के बाद पार्षदों का शपथ ग्रहण समारोह लटक गया है ।
भाजपा पार्षद सुमन बाला के लिए शायद अब मेयर बनने का रास्ता उतना आसान न रहे क्योंकि इस मामले को माननीय न्यायाधीश गरीमा यादव ने अपनी अदालत में सुनवाई के लिए आई अर्जी को स्वीकार कर लिया है।
मामले की पैरवी कर रहे वकील राजेश अहलावत ने जानकारी देेते हुए बताया कि उनके पास इस मामले के ठोस कागजात हैं, जिनसे साबित होता है कि वार्ड 12 से पार्षद बनी सुमन बाला खेडा पंजाबी अरोडा समाज से हैं जो जनरल कैटगरी में आता है और एससी वर्ग में नहीं। श्री अहलावत ने बताया सुमन बाला खेडा के पिता लोकनाथ अरोडा पुत्र सोभनाथ अरोडा जो मूलत: अब के पाकिस्तान से यहां बंटवारे के समय आए थे, और यहां की सरकार ने उनको बसाया था। उस समय हजारों परिवार आए थे जिनको पंजाबी वर्ग कहा गया, और जहां से यह लोग आए हैं वहां पर न तो अब और न ही पहले किसी को एससी वर्ग माना गया है। इन लोगों ने फरीदाबाद में आने के बाद अपने आप को सिर्फ पंजाबी वर्ग घोषित किया कभी किसी ने अपने को दलित परिवार का हिस्सा नहीं कहा, और न ही अपने आपको एससी वर्ग का सदस्य बताया।
वकील श्री अहलावत ने बताया कि सुमन बाला के परिवार के लोग भी एससी या जुलाहा कास्ट किसी फार्म पर नहीं लिखते। सुमन बाला के पिता लोकनाथ अरोडा ने ही केवल अपना जाति प्रमाण पत्र जुलाहा जाति का बनवाया है, जबकि इनके दादा या परदादा का नहीं बना। उन्होने अदालत में मामले की सुनवाई के लिए लगाई अर्जी में कहा है कि लोकनाथ अरोडा जो एक पंंजाबी वर्ग में आते हैं और उनका असल गोत्र जुलाया है न कि जाति जुलाहा है। उन्होने केवल एससी वर्ग का लाभ लेने के लिए या यूं कहें कि एससी जाति के गरीब लोगों का हक खाने के लिए अपना एससी प्रमाण पत्र किसी भी तरह जुगाड करके बनवा लिया था।
उन्होने कहा कि यदि सुमन बाला का परिवार एसएस होता है, तो वह अपने स्कूल, कॉलेज या अन्य फार्म में दाखिले के समय खुद को अनुसूचित जाति का सदस्य घोषित करते और अपने आपको जुलाहा के साथ-साथ एससी भी लिखते।
श्री अहलावात ने बताया कि इनके परिवार में कोई भी सदस्य अपने आप को एससी नहीं मानता और न ही इनकी रिश्तेदारियां एससी समाज में हैं। उन्होने अपनी अर्जी में कई प्रकार के सबूत पेश किये हैं जिनसे साबित होता है कि यह पंजाबी जुलाया गोत्र से हैं जो जनरल कैटगरी में आता है, इसी आधार पर उन्होने सुमन बाला की उम्मीदवारी को निरस्त करने की मांग की है ।
भाजपा पार्षद सुमन बाला के लिए शायद अब मेयर बनने का रास्ता उतना आसान न रहे क्योंकि इस मामले को माननीय न्यायाधीश गरीमा यादव ने अपनी अदालत में सुनवाई के लिए आई अर्जी को स्वीकार कर लिया है।
मामले की पैरवी कर रहे वकील राजेश अहलावत ने जानकारी देेते हुए बताया कि उनके पास इस मामले के ठोस कागजात हैं, जिनसे साबित होता है कि वार्ड 12 से पार्षद बनी सुमन बाला खेडा पंजाबी अरोडा समाज से हैं जो जनरल कैटगरी में आता है और एससी वर्ग में नहीं। श्री अहलावत ने बताया सुमन बाला खेडा के पिता लोकनाथ अरोडा पुत्र सोभनाथ अरोडा जो मूलत: अब के पाकिस्तान से यहां बंटवारे के समय आए थे, और यहां की सरकार ने उनको बसाया था। उस समय हजारों परिवार आए थे जिनको पंजाबी वर्ग कहा गया, और जहां से यह लोग आए हैं वहां पर न तो अब और न ही पहले किसी को एससी वर्ग माना गया है। इन लोगों ने फरीदाबाद में आने के बाद अपने आप को सिर्फ पंजाबी वर्ग घोषित किया कभी किसी ने अपने को दलित परिवार का हिस्सा नहीं कहा, और न ही अपने आपको एससी वर्ग का सदस्य बताया।
वकील श्री अहलावत ने बताया कि सुमन बाला के परिवार के लोग भी एससी या जुलाहा कास्ट किसी फार्म पर नहीं लिखते। सुमन बाला के पिता लोकनाथ अरोडा ने ही केवल अपना जाति प्रमाण पत्र जुलाहा जाति का बनवाया है, जबकि इनके दादा या परदादा का नहीं बना। उन्होने अदालत में मामले की सुनवाई के लिए लगाई अर्जी में कहा है कि लोकनाथ अरोडा जो एक पंंजाबी वर्ग में आते हैं और उनका असल गोत्र जुलाया है न कि जाति जुलाहा है। उन्होने केवल एससी वर्ग का लाभ लेने के लिए या यूं कहें कि एससी जाति के गरीब लोगों का हक खाने के लिए अपना एससी प्रमाण पत्र किसी भी तरह जुगाड करके बनवा लिया था।
उन्होने कहा कि यदि सुमन बाला का परिवार एसएस होता है, तो वह अपने स्कूल, कॉलेज या अन्य फार्म में दाखिले के समय खुद को अनुसूचित जाति का सदस्य घोषित करते और अपने आपको जुलाहा के साथ-साथ एससी भी लिखते।
श्री अहलावात ने बताया कि इनके परिवार में कोई भी सदस्य अपने आप को एससी नहीं मानता और न ही इनकी रिश्तेदारियां एससी समाज में हैं। उन्होने अपनी अर्जी में कई प्रकार के सबूत पेश किये हैं जिनसे साबित होता है कि यह पंजाबी जुलाया गोत्र से हैं जो जनरल कैटगरी में आता है, इसी आधार पर उन्होने सुमन बाला की उम्मीदवारी को निरस्त करने की मांग की है ।
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