चण्डीगढ़, 28 फरवरी- हरियाणा के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यू ने कहा कि जाट आरक्षण आंदोलन के मुद्दे पर सरकार संविधान के दायरे व कानून की परिधि में सकारात्मक सोच के साथ खुले मन से पहले भी बातचीत कर चुकी है और आज भी तैयार है। राजनीतिक पार्टियों के नेता धरनों पर जाकर युवाओं को बहकाकर व बरगलाकर अपने खिसके हुए राजनैतिक जनाधार को ढुढऩे तथा अपनी खोई हुई राजनैतिक जमीन तलाशने की कुचेष्टïा कर रहे हैं।
वित्त मंत्री आज हरियाणा विधानसभा के चल रहे बजट सत्र के दूसरे दिन विधानसभा पत्रकार दीर्घा में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि सरकार के पिछले सवा दो साल से अधिक के कार्याकाल में विपक्षी पार्टियों के नेताओं को कोई मुद्दा नहीं मिल रहा, इसलिए वे ऐसा प्रयास कर रहे हंै। उन्होंने कहा कि सर्व समाज के हित में भाईचारे व सामाजिक ताने-बाने को बनाए रखना हम सब की जिम्मेदारी है। जाट आंदोलन में उत्तरप्रदेश चुनावों से लेकर अब तक राजनैतिक आंदोलन की बू-घुस चुकी है। यह प्रदेश की अढ़ाई करोड़ जनता जान चुकी है।
उन्होंने कहा कि संवाद से ही समाधान सम्भव है। सरकार खुले मन से बातचीत करने को तैयार है। सरकार आरक्षण की पक्षधर है, विधानसभा में सभी 90 विधायकों ने सर्वसम्मति प्रस्तावित करके कानून बनाया और इसके बाद सरकार नेे न्यायालय में मजबूत पैरवी की है। उन्होंने आंदोलनकारियों से अपील की है कि वे बातचीत के लिए आगे आए। सरकार ने अपना संदेश व संकेत दे दिया है। समय की नजाकत को समझते हुए सर्व समाज के हित और प्रदेश के अढ़ाई करोड़ लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर कानून की परिधि में सरकार अपना राजधर्म निभा रही है।
एक प्रश्न के उत्तर में वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार खुले मन से बातचीत करने को तैयार है। यह आंदोलनकारियों की समिति को स्पष्टï करना है कि वे किस स्तर पर बातचीत करना चाहते है। उन्होंने कहा कि गत वर्ष जाट आंदोलन की आड़ मेें अराजकता फैलाने की कोशिश की गई थी, चाहे वह रोहतक में छोटूराम चौक पर 35 बनाम एक बिरादरी का नारा दिया गया हो या रोहतक की अदालत में वकीलों के धरने के समर्थन की बात हो या राजकीय महाविद्यालय रोहतक के छात्रावास में पुलिस कार्यवाही की बात हो, झज्जर में लैफ्टिनेंट रविन्द्र छिक्कारा की प्रतिमा खंडित करने की बात हो या भिवानी में जाट धर्मशाला में तोड़-फोड की बात हो या जीन्द, कैथल में महापुरूषों की प्रतिमा खंडित करने की बात हो आंदोलनकारियों ने इस पर कार्यावाही की मांग की है। मांगों पर सरकार मार्ग निकालने की ओर बढ़ रही है।
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