फरीदाबाद, 31 जनवरी- 31वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला-2017 का शुभारंभ हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल पहली फरवरी, 2017 को प्रात: 11.30 बजे करेंगे। इस अवसर पर हरियाणा के पर्यटन, सत्कार तथा शिक्षा मंत्री श्री रामबिलास शर्मा, झारखंड के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री श्री अमर कुमार बौरी तथा भारत में मिश्र के राजदूत श्री हातेम तगेल्डिन भी उपस्थिति रहेंगे
हरियाणा में पर्यटन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव तथा सूरजकुंड मेला प्राधिकरण के उपाध्यक्ष श्री वी एस कुण्डू ने आज सूरजकुंड मेला मैदान, फरीदाबाद स्थित चौपाल में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि इस अवसर पर केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री श्री कृष्ण पाल, हरियाणा के उद्योग मंत्री श्री विपुल गोयल, पर्यटन एवं सत्कार विभाग की मुख्य संसदीय सचिव श्रीमती सीमा त्रिखा, हरियाणा पर्यटन निगम के अध्यक्ष श्री जगदीश चौपड़ा, बल्लभगढ़ के विधायक श्री मूल चंद शर्मा तथा अनेक अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित रहेंगे।
उन्होंने बताया कि सूरजकुंड शिल्प मेले का आयोजन पहली बार वर्ष 1987 में भारत के हस्तशिल्प, हथकरघा और सांस्कृतिक विरासत की समृद्घि एवं विविधताओं को प्रदर्शित करने के लिए किया गया था। सूरजकुंड मेला प्राधिकरण एवं हरियाणा पर्यटन द्वारा संयुक्त रूप से केन्द्रीय पर्यटन, कपड़ा, संस्कृति, विदेश मंत्रालयों और हरियाणा सरकार के सहयोग से आयोजित यह उत्सव सौंदर्यबोध की दृष्टिï से सृजित माहौल में भारत के शिल्प, संस्कृति एवं व्यंजनों को प्रदर्शित करने के लिए अंतर्राष्टï्रीय पर्यटन कलैण्डर में एक विशेष महत्व है।
श्री कुंडू ने बताया कि हर वर्ष लाखों पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने के साथ-साथ इस मेले ने भारत की कला एवं शिल्प परम्पराओं की विरासत को पुनर्जीवित करने में मदद की है। इस वर्ष पर्यटकों एवं प्रतिभागियों की सुविधा के लिए अनेक नई पहल की गई हैं। मेले के लिए ‘बुक माई शो’ के माध्यम से ऑनलाइन टिकट ली जा सकती हैं। दिल्ली मेट्रो स्टेशनों पर भी मेले की टिकटें उपलब्ध करवाई गई हैं। विभिन्न स्थानों से सूरजकुंड के लिए विशेष बसें उपलब्ध हैं। आस-पास के क्षेत्रों से मेला स्थल तक नि:शुल्क फेरी सेवा तथा कई जन सुविधाएं मुहैया करवाई गई हैं। श्री कुंडू ने बताया कि वे प्राचीन स्मारक सूर्यकुंड, जिससे सूरजकुंड की उत्पत्ति हुई है, को सुंदर और स्वच्छ बनाए रखने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के समक्ष इस मुद्दे को तत्परता से उठाएंगे।
सूरजकुंड शिल्प मेले के इतिहास में एक नया कीर्तिमान उस समय स्थापित हुआ जब वर्ष 2013 में इसे अंतर्राष्टï्रीय मेले का दर्जा मिला। इस वर्ष मेले में यूरोप, अफ्रीका और दक्षिण एशिया से 20 से अधिक देश भाग ले रहे हैं। जिम्बावे, तन्जानिया, ट्यूनीशिया, मंगोलिया और दक्षिण अफ्रीका पहली बार मेले में भाग ले रहे हैं।
हरियाणा पर्यटन निगम के प्रबंध निदेशक तथा सूरजकुंड मेला प्राधिकरण के मुख्य प्रशासक श्री समीर पाल सरो ने बताया कि इस वर्ष मेले के प्रति विदेशी भागीदारों में एक नया जोश है, जिनमें भागीदार राष्ट्र मिश्र के प्रतिभागी भी शामिल हैं। मेले में श्रीलंका, नेपाल, अफगानिस्तान, थाईलैंड, किर्गिस्तान, लेबनॉन और ट्यूनीशिया के भागीदारों में भी एक नया उत्साह है।
नवगठित राज्य झारखंड इस वर्ष के सूरजकुंड अंतर्राष्टï्रीय शिल्प मेला का ‘थीम राज्य’, है जोकि प्रभावी ढंग से अपनी अनूठी संस्कृति एवं समृद्ध विरासत को प्रदर्शित कर रहा है। झारखंड ने मेले में मुख्य चौपाल के निकट मलूटी मंदिर द्वार का एक स्थाई ढांचा बनाया है। यह मंदिर वहां के सन्थाल परगना क्षेत्र में स्थित है। इसके अलावा, झारखंड के राज्य चिन्हों को प्रदर्शित करने वाले पांच और अस्थाई द्वार बनाए गए हैं। झारखंड से लगभग 300 कलाकार छाऊ, खैरा, करसा, पायका जैसी प्रसिद्ध लोक कलाओं का प्रदर्शन करेंगे।
दर्शकों के मूड को तरो-ताजा करने के लिए मिश्र, तंजानिया, जिम्बावे, सेशल्स, ताजिकिस्तान और किर्गिस्तान से आए अंतर्राष्ट्रीय लोक कलाकारों द्वारा शानदार प्रदर्शन किया जाएगा। मेला मैदान के ओपन एयर थियेटर चौपाल में उत्तर क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र तथा अन्य क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों के लोक कलाकारों द्वारा दिन के समय विभिन्न नृत्य प्रस्तुत किए जाएंगे, जिनमें हरियाणवी नृत्य, पंजाबी नृत्य शामिल थे ।
हरियाणा में पर्यटन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव तथा सूरजकुंड मेला प्राधिकरण के उपाध्यक्ष श्री वी एस कुण्डू ने आज सूरजकुंड मेला मैदान, फरीदाबाद स्थित चौपाल में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि इस अवसर पर केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री श्री कृष्ण पाल, हरियाणा के उद्योग मंत्री श्री विपुल गोयल, पर्यटन एवं सत्कार विभाग की मुख्य संसदीय सचिव श्रीमती सीमा त्रिखा, हरियाणा पर्यटन निगम के अध्यक्ष श्री जगदीश चौपड़ा, बल्लभगढ़ के विधायक श्री मूल चंद शर्मा तथा अनेक अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित रहेंगे।
उन्होंने बताया कि सूरजकुंड शिल्प मेले का आयोजन पहली बार वर्ष 1987 में भारत के हस्तशिल्प, हथकरघा और सांस्कृतिक विरासत की समृद्घि एवं विविधताओं को प्रदर्शित करने के लिए किया गया था। सूरजकुंड मेला प्राधिकरण एवं हरियाणा पर्यटन द्वारा संयुक्त रूप से केन्द्रीय पर्यटन, कपड़ा, संस्कृति, विदेश मंत्रालयों और हरियाणा सरकार के सहयोग से आयोजित यह उत्सव सौंदर्यबोध की दृष्टिï से सृजित माहौल में भारत के शिल्प, संस्कृति एवं व्यंजनों को प्रदर्शित करने के लिए अंतर्राष्टï्रीय पर्यटन कलैण्डर में एक विशेष महत्व है।
श्री कुंडू ने बताया कि हर वर्ष लाखों पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने के साथ-साथ इस मेले ने भारत की कला एवं शिल्प परम्पराओं की विरासत को पुनर्जीवित करने में मदद की है। इस वर्ष पर्यटकों एवं प्रतिभागियों की सुविधा के लिए अनेक नई पहल की गई हैं। मेले के लिए ‘बुक माई शो’ के माध्यम से ऑनलाइन टिकट ली जा सकती हैं। दिल्ली मेट्रो स्टेशनों पर भी मेले की टिकटें उपलब्ध करवाई गई हैं। विभिन्न स्थानों से सूरजकुंड के लिए विशेष बसें उपलब्ध हैं। आस-पास के क्षेत्रों से मेला स्थल तक नि:शुल्क फेरी सेवा तथा कई जन सुविधाएं मुहैया करवाई गई हैं। श्री कुंडू ने बताया कि वे प्राचीन स्मारक सूर्यकुंड, जिससे सूरजकुंड की उत्पत्ति हुई है, को सुंदर और स्वच्छ बनाए रखने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के समक्ष इस मुद्दे को तत्परता से उठाएंगे।
सूरजकुंड शिल्प मेले के इतिहास में एक नया कीर्तिमान उस समय स्थापित हुआ जब वर्ष 2013 में इसे अंतर्राष्टï्रीय मेले का दर्जा मिला। इस वर्ष मेले में यूरोप, अफ्रीका और दक्षिण एशिया से 20 से अधिक देश भाग ले रहे हैं। जिम्बावे, तन्जानिया, ट्यूनीशिया, मंगोलिया और दक्षिण अफ्रीका पहली बार मेले में भाग ले रहे हैं।
हरियाणा पर्यटन निगम के प्रबंध निदेशक तथा सूरजकुंड मेला प्राधिकरण के मुख्य प्रशासक श्री समीर पाल सरो ने बताया कि इस वर्ष मेले के प्रति विदेशी भागीदारों में एक नया जोश है, जिनमें भागीदार राष्ट्र मिश्र के प्रतिभागी भी शामिल हैं। मेले में श्रीलंका, नेपाल, अफगानिस्तान, थाईलैंड, किर्गिस्तान, लेबनॉन और ट्यूनीशिया के भागीदारों में भी एक नया उत्साह है।
नवगठित राज्य झारखंड इस वर्ष के सूरजकुंड अंतर्राष्टï्रीय शिल्प मेला का ‘थीम राज्य’, है जोकि प्रभावी ढंग से अपनी अनूठी संस्कृति एवं समृद्ध विरासत को प्रदर्शित कर रहा है। झारखंड ने मेले में मुख्य चौपाल के निकट मलूटी मंदिर द्वार का एक स्थाई ढांचा बनाया है। यह मंदिर वहां के सन्थाल परगना क्षेत्र में स्थित है। इसके अलावा, झारखंड के राज्य चिन्हों को प्रदर्शित करने वाले पांच और अस्थाई द्वार बनाए गए हैं। झारखंड से लगभग 300 कलाकार छाऊ, खैरा, करसा, पायका जैसी प्रसिद्ध लोक कलाओं का प्रदर्शन करेंगे।
दर्शकों के मूड को तरो-ताजा करने के लिए मिश्र, तंजानिया, जिम्बावे, सेशल्स, ताजिकिस्तान और किर्गिस्तान से आए अंतर्राष्ट्रीय लोक कलाकारों द्वारा शानदार प्रदर्शन किया जाएगा। मेला मैदान के ओपन एयर थियेटर चौपाल में उत्तर क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र तथा अन्य क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों के लोक कलाकारों द्वारा दिन के समय विभिन्न नृत्य प्रस्तुत किए जाएंगे, जिनमें हरियाणवी नृत्य, पंजाबी नृत्य शामिल थे ।
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