फरीदाबाद 10 दिसंबर: घरों में चोरी होना एक बड़ी समस्या है | क्या इससे बच सकते हैं ? कैसे इससे बचे ? चोरी किन दशाओं में होती हैं-
-(1) जब आप कुछ दिन के लिए घर से बाहर चले जाते हैं तब ।
(2) जब आप थोड़े समय के लिए (आधा घंटे से एक-दो घंटे के लिए) बाहर चले जाते हैं उस वक्त
(3) जब आप जब घर में सोये होते हैं और उस वक्त ही चोरों द्वारा घर में घुस कर चोरी कर ली जाती है
(4) घर के ही सदस्य या घरेलू काम करने वाले नौकर आदि द्वारा चोरी की जाती है ।
चोरियाँ होने का सबसे बड़ा प्रकार प्रथम वाला है जब आप कुछ दिन के लिए बाहर जाते हैं तो अधिकांश मामलों में घर के बाहर के गेट पर लटकने वाला ताला लगा देते हैं | चोरी होने की दशा में आप सोचते होंगे कि शायद आसपास के लोगों ने या पास में ही काम कर रहे लेबर द्वारा चोरी कर ली गयी होगी , आप गलत हैं | लगभग हर शहर में चोरी की प्रवृत्ति वाले गैंग सक्रिय रहते हैं जिनके काम का तरीका होता है कि वो दिन में शहरों की गलियों में साइकिल या बाइक से घूम कर ऐसे मकानों को को चिन्हित कर लेते हैं जिनके बाहर ताला लगा होता है अधिकांशतः रात के समय आकर औजारों से आसानी से ताला तोड़ कर घरों में चोरी कर लेते हैं |
दूसरे प्रकार की चोरी में जब आप थोड़ी देर के लिए ही घर का ताला लगा कर बाहर जाते हैं और जब तक वापस लौटते हैं तब तक घर में ताला तोड़ कर चोरी हो चुकी होती है | इस प्रकार की चोरी भी गली गली घूमने वाले गैंग द्वारा की जाती है | इस प्रकार के अपराधी अब गाड़ियों से भी चलने लगे हैं | किसी मकान के गेट पर ताला देख कर अपनी गाड़ी वहीं सामने लगा देते हैं एक-दो सदस्य मोबाइल फोन पर बात करने का बहाना कर बाहर घूमते हुआ आने जाने वालों पर नजर रखते है तथा एक दो सदस्य गेट के ऊपर से कूद कर औजारों से अंदर के ताले तोड़ लेते हैं ये इतनी तेजी से काम करते हैं कि 10 मिनट से कम समय में ही आपके जेवर और पैसे चोरी हो जाते हैं |
तीसरे प्रकार की चोरियाँ उस वक्त होती हैं जब आप घर में सो रहे होते हैं | कुछ गैंग इस प्रकार अपराध करते हैं कि आसपास मिले जुले मकानों में कंही से ऊपर छत पर चढ़ने का रास्ता देख लेते हैं और छत पर चढ़ कर ऐसे मकान में प्रवेश कर जाते हैं जहां दरवाजा खुला हो या प्रवेश करने की जगह मिल जाये | अंदर घुस कर जेवर और पैसा चोरी कर लेते हैं | गर्मियों और बरसात के मौसम में बड़े शहरों और एनसीआर के आसपास के छोटे बड़े दोनों प्रकार के शहरों में रात में जब आप घरों में सो रहे होते हैं उस वक्त आपके घर की खिड़की की ग्रिल खोल कर चोर घर में प्रवेश कर लेते हैं और आप सो रहे होते और आपके जेवर और पैसा चोरी हो जाता है , इस प्रकार का अपराध कुछेक मामलों में स्थानीय अपराधियों द्वारा हो सकता है किन्तु इस प्रकार के गैंग मध्य प्रदेश की आपराधिक जाति पारदी द्वारा किए जाते हैं | ये लोग अधिकांशतः मध्य प्रदेश के गुना जिले के रहने वाले हैं विदिशा आदि में भी रहते हैं और कुछ उत्तर प्रदेश के झाँसी में में भी रहते हैं | अप्रेल माह में इनके दर्जनों गैंग अलग-अलग दिशाओं में पूरे देश के लिए निकल पड़ते हैं |
इस तरफ दिल्ली में इनके ठिकाने हैं कुछ सदस्य मथुरा और हरियाणा के रिवाडी में ठिकाना बना लेते हैं | फिर गाड़ियों से आसपास के शहरों मेरठ , गाजियाबाद , नोएडा , गुड़गांव , फ़रीदाबाद , दिल्ली , सोनीपत , पानीपत , अंबाला , यमुनानगर , आगरा , मथुरा में जाते हैं | ऐसे मकानों की रेकी करते है जो अच्छी कॉलोनी में हों और जिसमें काफी जेवर और पैसा मिलने की संभावना हो | ऐसे मकानों की खिड़कियों के पेच पेचकस द्वारा या एक उपकरण लोही की रोड वाला "दौलतिया" से लकड़ी की चौखट और लोहे की पत्ती के बीच फसा कर दबा कर पूरी खिड़की को हटा कर कर घर में प्रवेश कर जाते हैं | ये अंधेरी रातों में अपराध करते हैं और सदस्य के जाग जाने पर तरह तरह की आवाज निकाल कर उसे डरा देते हैं और विरोध पर लोहे की रोड से गंभीर हमला करने से नहीं चूकते हैं | सबसे सुरक्षित समझी जाने वाली कॉलोनियाँ इनका निशाना होती हैं | हर वर्ष पूरे देश में ये इस प्रकार का अपराध करते हैं और सर्दियों में वापस अपने घरों को लौट जाते हैं |
इसी अपराध प्रणाली पर बंगलादेशी अपराधी भी चोरिया करते हैं | चौथे प्रकार कि चोरियों में घर के सदस्य या नौकर आदि होते हैं |अब आप क्या करें ? आप यदि बाहर जा रहे हैं और अपने बाहर गेट पर या बाहर से दिखने वाले स्थान पर लटकने वाला ताला लगा दिया है तो समझिए कि आप का मकान 100 प्रतिशत असुरक्षित है | यदि आपने न दिखने वाला हज़मी या गुप्त ताला लगाया है तो आपका घर 95 प्रतिशत सुरक्षित है | अगर आपने गुप्त ताला भी लगाया है और उसके बाद बाहर से दिखने वाला ताला भी लगा दिया है तो आप का मकान 100 प्रतिशत असुरक्षित हो जाएगा क्यूंकि अपराधी को पता चल जाएगा कि आपका मकान खाली है | याद रखिए कि तालों से आपका मकान सुरक्षित नहीं होगा , तब सुरक्षित होगा जब अपराधी को आपके मकान के खाली होने का पता न चले |
इसी प्रकार यदि आपके मकान की खिड़की की ग्रिल पेच द्वारा फ्रेम पर लगी हुयी हैं तो आप सुरक्षित नहीं हैं| एक पेचकस से आपकी ग्रिल के पेच आसानी से खुल जाएंगे और खिड़की अलग हो जाएगी | कारीगर से मिल कर इस व्यवस्था को परिवर्तित कीजिये |
आप अपराधी की नजर से अपने मकान का मुआयना करले और देखे कि कहाँ से अपराधी प्रवेश कर सकता है उस स्थान को सही कराएं |
घरेलू नौकरों के सामने कभी जेवर या पैसे का प्रदर्शन न करें | कभी कभी सामान्य नौकर कि भी नियत खराब हो जाते है |
सुरक्षित समझे जाने वाले अपार्टमेंट में भी चोर किसी बहाने से security गार्ड को चकमा देकर घुस जाते हैं और जिन फ्लेट्स में लटकने वाले ताले लगे होते हैं उन्हे तोड़ कर चोरी कर लेते हैं
इन चीजों का ध्यान रखेंगे तो आप पूर्णतया सुरक्षित हो जाएंगे |
Inspector Satender Rawal
Incharge crime branch
Headquarter Sec 30 Faridabad
-(1) जब आप कुछ दिन के लिए घर से बाहर चले जाते हैं तब ।
(2) जब आप थोड़े समय के लिए (आधा घंटे से एक-दो घंटे के लिए) बाहर चले जाते हैं उस वक्त
(3) जब आप जब घर में सोये होते हैं और उस वक्त ही चोरों द्वारा घर में घुस कर चोरी कर ली जाती है
(4) घर के ही सदस्य या घरेलू काम करने वाले नौकर आदि द्वारा चोरी की जाती है ।
चोरियाँ होने का सबसे बड़ा प्रकार प्रथम वाला है जब आप कुछ दिन के लिए बाहर जाते हैं तो अधिकांश मामलों में घर के बाहर के गेट पर लटकने वाला ताला लगा देते हैं | चोरी होने की दशा में आप सोचते होंगे कि शायद आसपास के लोगों ने या पास में ही काम कर रहे लेबर द्वारा चोरी कर ली गयी होगी , आप गलत हैं | लगभग हर शहर में चोरी की प्रवृत्ति वाले गैंग सक्रिय रहते हैं जिनके काम का तरीका होता है कि वो दिन में शहरों की गलियों में साइकिल या बाइक से घूम कर ऐसे मकानों को को चिन्हित कर लेते हैं जिनके बाहर ताला लगा होता है अधिकांशतः रात के समय आकर औजारों से आसानी से ताला तोड़ कर घरों में चोरी कर लेते हैं |
दूसरे प्रकार की चोरी में जब आप थोड़ी देर के लिए ही घर का ताला लगा कर बाहर जाते हैं और जब तक वापस लौटते हैं तब तक घर में ताला तोड़ कर चोरी हो चुकी होती है | इस प्रकार की चोरी भी गली गली घूमने वाले गैंग द्वारा की जाती है | इस प्रकार के अपराधी अब गाड़ियों से भी चलने लगे हैं | किसी मकान के गेट पर ताला देख कर अपनी गाड़ी वहीं सामने लगा देते हैं एक-दो सदस्य मोबाइल फोन पर बात करने का बहाना कर बाहर घूमते हुआ आने जाने वालों पर नजर रखते है तथा एक दो सदस्य गेट के ऊपर से कूद कर औजारों से अंदर के ताले तोड़ लेते हैं ये इतनी तेजी से काम करते हैं कि 10 मिनट से कम समय में ही आपके जेवर और पैसे चोरी हो जाते हैं |
तीसरे प्रकार की चोरियाँ उस वक्त होती हैं जब आप घर में सो रहे होते हैं | कुछ गैंग इस प्रकार अपराध करते हैं कि आसपास मिले जुले मकानों में कंही से ऊपर छत पर चढ़ने का रास्ता देख लेते हैं और छत पर चढ़ कर ऐसे मकान में प्रवेश कर जाते हैं जहां दरवाजा खुला हो या प्रवेश करने की जगह मिल जाये | अंदर घुस कर जेवर और पैसा चोरी कर लेते हैं | गर्मियों और बरसात के मौसम में बड़े शहरों और एनसीआर के आसपास के छोटे बड़े दोनों प्रकार के शहरों में रात में जब आप घरों में सो रहे होते हैं उस वक्त आपके घर की खिड़की की ग्रिल खोल कर चोर घर में प्रवेश कर लेते हैं और आप सो रहे होते और आपके जेवर और पैसा चोरी हो जाता है , इस प्रकार का अपराध कुछेक मामलों में स्थानीय अपराधियों द्वारा हो सकता है किन्तु इस प्रकार के गैंग मध्य प्रदेश की आपराधिक जाति पारदी द्वारा किए जाते हैं | ये लोग अधिकांशतः मध्य प्रदेश के गुना जिले के रहने वाले हैं विदिशा आदि में भी रहते हैं और कुछ उत्तर प्रदेश के झाँसी में में भी रहते हैं | अप्रेल माह में इनके दर्जनों गैंग अलग-अलग दिशाओं में पूरे देश के लिए निकल पड़ते हैं |
इस तरफ दिल्ली में इनके ठिकाने हैं कुछ सदस्य मथुरा और हरियाणा के रिवाडी में ठिकाना बना लेते हैं | फिर गाड़ियों से आसपास के शहरों मेरठ , गाजियाबाद , नोएडा , गुड़गांव , फ़रीदाबाद , दिल्ली , सोनीपत , पानीपत , अंबाला , यमुनानगर , आगरा , मथुरा में जाते हैं | ऐसे मकानों की रेकी करते है जो अच्छी कॉलोनी में हों और जिसमें काफी जेवर और पैसा मिलने की संभावना हो | ऐसे मकानों की खिड़कियों के पेच पेचकस द्वारा या एक उपकरण लोही की रोड वाला "दौलतिया" से लकड़ी की चौखट और लोहे की पत्ती के बीच फसा कर दबा कर पूरी खिड़की को हटा कर कर घर में प्रवेश कर जाते हैं | ये अंधेरी रातों में अपराध करते हैं और सदस्य के जाग जाने पर तरह तरह की आवाज निकाल कर उसे डरा देते हैं और विरोध पर लोहे की रोड से गंभीर हमला करने से नहीं चूकते हैं | सबसे सुरक्षित समझी जाने वाली कॉलोनियाँ इनका निशाना होती हैं | हर वर्ष पूरे देश में ये इस प्रकार का अपराध करते हैं और सर्दियों में वापस अपने घरों को लौट जाते हैं |
इसी अपराध प्रणाली पर बंगलादेशी अपराधी भी चोरिया करते हैं | चौथे प्रकार कि चोरियों में घर के सदस्य या नौकर आदि होते हैं |अब आप क्या करें ? आप यदि बाहर जा रहे हैं और अपने बाहर गेट पर या बाहर से दिखने वाले स्थान पर लटकने वाला ताला लगा दिया है तो समझिए कि आप का मकान 100 प्रतिशत असुरक्षित है | यदि आपने न दिखने वाला हज़मी या गुप्त ताला लगाया है तो आपका घर 95 प्रतिशत सुरक्षित है | अगर आपने गुप्त ताला भी लगाया है और उसके बाद बाहर से दिखने वाला ताला भी लगा दिया है तो आप का मकान 100 प्रतिशत असुरक्षित हो जाएगा क्यूंकि अपराधी को पता चल जाएगा कि आपका मकान खाली है | याद रखिए कि तालों से आपका मकान सुरक्षित नहीं होगा , तब सुरक्षित होगा जब अपराधी को आपके मकान के खाली होने का पता न चले |
इसी प्रकार यदि आपके मकान की खिड़की की ग्रिल पेच द्वारा फ्रेम पर लगी हुयी हैं तो आप सुरक्षित नहीं हैं| एक पेचकस से आपकी ग्रिल के पेच आसानी से खुल जाएंगे और खिड़की अलग हो जाएगी | कारीगर से मिल कर इस व्यवस्था को परिवर्तित कीजिये |
आप अपराधी की नजर से अपने मकान का मुआयना करले और देखे कि कहाँ से अपराधी प्रवेश कर सकता है उस स्थान को सही कराएं |
घरेलू नौकरों के सामने कभी जेवर या पैसे का प्रदर्शन न करें | कभी कभी सामान्य नौकर कि भी नियत खराब हो जाते है |
सुरक्षित समझे जाने वाले अपार्टमेंट में भी चोर किसी बहाने से security गार्ड को चकमा देकर घुस जाते हैं और जिन फ्लेट्स में लटकने वाले ताले लगे होते हैं उन्हे तोड़ कर चोरी कर लेते हैं
इन चीजों का ध्यान रखेंगे तो आप पूर्णतया सुरक्षित हो जाएंगे |
Inspector Satender Rawal
Incharge crime branch
Headquarter Sec 30 Faridabad
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